तनाह दतार (इंडोनेशिया)। इंडोनेशिया के सुमात्रा में सक्रिय ज्वालामुखी माउंट मरापी से अचानक आई बाढ़, भूस्खलन और ठंडे लावा की विनाशकारी धारा के कारण पिछले सप्ताहांत में कम से कम 52 लोगों की मौत हो गई और 19 लोग लापता हो गए। बचावकर्मियों ने मंगलवार को नदियों और बाढ़ से प्रभावित गांवों में मलबे में लोगों की तलाश जारी रखी। मानसून की भारी बारिश और भूस्खलन तथा माउंट मेरापी से निकले लावे ने शनिवार को आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों में कहर बरपा दिया।
ज्वालामुखी माउंट मरापी की वजह से आया कहर
ठंडा लावा, जिसे जावानीज़ में “लहार” भी कहा जाता है, इसमें पानी और चट्टान के टुकड़ों का मिश्रण होता है जो ज्वालामुखी की ढलानों से तेजी से बहता है, नदी घाटियों में प्रवेश करता है और विस्तृत क्षेत्रों में फैल जाता है।इंडोनेशिया में आपदा प्रतिक्रिया एजेंसी ने परेशान करने वाली तस्वीरें और वीडियो साझा किए, जिनमें माउंट मरापी के पास सड़कें और खेत मोटी मिट्टी और राख से ढके हुए दिखाई दे रहे हैं। इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ठंडा लावा सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बह सकता है और ज्वालामुखी से 60 किलोमीटर तक की दूरी तक पहुंच सकता है, जो इसके रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, लाहार को नियमित लावा प्रवाह की तुलना में अधिक विनाशकारी और घातक माना जाता है। उनमें लगभग किसी भी चीज़ को कुचलने या दफनाने की क्षमता होती है, और पुलों और सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे को नष्ट करके, वे लोगों को उन क्षेत्रों में फंसा सकते हैं जो आगे ज्वालामुखी गतिविधियों के प्रति संवेदनशील हैं।
इसे भी पढ़ें: कैब ड्राइवर वसूल रहे दुगुना किराया, जानें फेक फेयर स्क्रीन स्कैम क्या है?
इंडोनेशिया अचानक आई बाढ़ से तबाही
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में अचानक आई बाढ़ की तबाही थमने का नाम नहीं ले रही है। बचावकर्मियों ने मंगलवार को नदियों और बाढ़ से प्रभावित गांवों में मलबे में लोगों की तलाश जारी रखी।
मानसून की भारी बारिश और भूस्खलन तथा माउंट मेरापी से निकले लावे ने आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों में कहर बरपा दिया।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि बाढ़ में कई लोग और 79 मकान बह गए तथा कई घर और इमारतें जलमग्न हो गईं।
कीचड़ और नदियों से शवों को निकाला जा रहा
नतीजतन 3300 से अधिक निवासियों को अस्थायी सरकारी सहायता केन्द्रों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मुहारी ने कहा कि मंगलवार तक कीचड़ और नदियों से 52 शवों को निकाला जा चुका है। बचावकर्मी उन 20 लोगों की तलाश कर रहे हैं, जो लापता बताए जाते हैं।
इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी ने कहा कि आगामी दिनों में पश्चिम सुमात्रा प्रांत में और अधिक बारिश होने का अनुमान है और अगले सप्ताह तक अत्यधिक बारिश हो सकती है।
बचावकर्मी सात लोगों के समूह में से उन चार लोगों को भी खोज रहे हैं, जो अपनी कार के साथ बह गए थे। प्रांतीय राजधानी पडांग में खोज और बचाव कार्यालय के प्रमुख अब्दुल मलिक ने कहा कि सोमवार को तीन अन्य शवों को बाहर निकाला गया।
मलिक ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में अभी भी पहुंच संभव नहीं है, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
इसे भी पढ़ें: कश्मीर की तरक्की देखकर PoK में हो रहा बवाल! एस जयशंकर ने किया बड़ा खुलासा
इंडोनेशिया के ‘सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन’ के अनुसार, माउंट मेरापी ज्वालामुखी को अचानक विस्फोटों के लिए जाना जाता है। मेरापी में विस्फोटों का अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि स्रोत उथला है और शिखर के पास है।
मेरापी ज्वालामुखी जनवरी 2024 में एक विस्फोट के बाद से सक्रिय है। यह इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी में से एक है। पैसिफिक ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित होने के कारण देश आए दिन भूकंप के झटकों का अनुभव करता रहता है।