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सूडान में युद्ध देश की सीमाओं से आगे भी फैल सकता है: जनरल बुरहान

सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्दुल फतह बुरहान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा कि यदि सूडान में युद्ध नहीं रोका गया तो यह पूर्वोत्तर अफ्रीकी देश की सीमाओं से आगे भी फैल सकता है।
जनरल बुरहान ने विश्व नेताओं से प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल को आतंकवादी समूह घोषित करने का आग्रह किया। उन्होंने बृहस्पतिवार देर रात विश्व नेताओं को बताया, ‘‘इस युद्ध की प्रकृति अब क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा है। …यह युद्ध की चिंगारी की तरह है, एक ऐसा युद्ध जो क्षेत्र के अन्य देशों तक फैल जाएगा।’’
सूडान में गत अप्रैल में तब संघर्ष शुरू हो गया था जब जनरल बुरहान के नेतृत्व वाली सेना और मोहम्मद हमदान डागालो के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के बीच लंबे समय से जारी तनाव बढ़ गया।

दोनों 2021 में तख्तापलट करके सत्ता पर काबिज होने के लिए सेना में शामिल हुए थे, जिसने सूडान की लोकतंत्र समर्थक ताकतों को किनारे कर दिया था।
पिछले सप्ताह अपने इस्तीफे की घोषणा करने वाले देश में संयुक्त राष्ट्र के दूत वोल्कर पर्थेस के अनुसार, संघर्ष में कम से कम 5,000 लोग मारे गए हैं और 12,000 अन्य घायल हुए हैं।
जनरल बुरहान ने कहा कि सूडानी सेना ने इस युद्ध को रोकने के लिए सभी दरवाजे खटखटाए हैं और संयुक्त राष्ट्र से आरएसएफ को एक आतंकवादी समूह घोषित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आरएसएफ ने ‘‘सभी प्रकार के अपराध किए हैं जो किसी संगठन को आतंकवादी समूह घोषित करने का आधार हैं,’’ जिसमें अन्य देशों के ‘‘अपराधियों और आतंकवादी समूहों’’ की सहायता प्राप्त करना भी शामिल है।

बुरहान ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने हत्या, आगजनी, बलात्कार, जबरन विस्थापन, लूटपाट, चोरी, यातना, हथियारों एवं नशीली दवाओं की तस्करी, भाड़े के सैनिकों को लाने या बच्चों को भर्ती करने का समर्थन किया है – ऐसे सभी अपराधों के लिए जवाबदेही और सजा की आवश्यकता है।’’
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा सूडानी सेना और आरएसएफ दोनों पर व्यापक युद्ध अपराधों का आरोप लगाया गया है, जिसमें नागरिकों की जानबूझकर हत्याएं और सामूहिक यौन हमले शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, संघर्ष में कम से कम 46 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में बच्चे भी शामिल हैं।
बुरहान ने कहा कि सूडान में शांतिपूर्ण चुनाव के माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना के लिए संघर्ष का समाधान किया जाना चाहिए।

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