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China की हालत होने वाली है खराब, बंगाल की खाड़ी में उतरेंगे भारत-अमेरिका-जापान और ऑस्ट्रेलिया के युद्धपोत

क्वाड देशों -भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया बंगाल की खाड़ी में आगामी मालाबार नौसेना अभ्यास में अत्याधुनिक नौसेना रक्षा तंत्र का प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। जिसके बाद तय किया गया इंडो-पैसिफिक जल में संयुक्त समुद्री सुरक्षा उपायों का विस्तार किया जाएगा। भारत अक्टूबर में वार्षिक मालाबार नौसैनिक अभ्यास के 28वें संस्करण की मेजबानी करेगा। अधिकारियों के अनुसार, क्वाड राष्ट्र अपने अत्याधुनिक युद्धपोतों और नौसैनिक परिसंपत्तियों का प्रदर्शन करेंगे, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग और शक्ति प्रक्षेपण का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन होगा। चीन की समंदर में दादागीरी की कोशिश पर लगाम लगाने और फ्रीडम ऑफ नेविगेशन के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ हैं और यही क्वॉड है। 

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मालाबार अभ्यास मूल रूप से भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास है। अब क्वाड सदस्यों के बीच परिचालन समन्वय, सूचना साझाकरण और नौसैनिक अंतर-संचालन को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों में से एक बन गया है। यह अभ्यास 1992 में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय पहल के रूप में भारत के पश्चिमी तट के दक्षिणी भाग मालाबार तट पर शुरू हुआ था। 2007 में इसका विस्तार करके इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल किया गया, जिसमें 2015 में जापान एक स्थायी भागीदार बन गया। ऑस्ट्रेलिया 2020 में अभ्यास में फिर से शामिल हुआ, जिसने सैन्य अभ्यास में क्वाड की संयुक्त भागीदारी को चिह्नित किया।

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बंगाल की खाड़ी में दिखेगा दम
 1992 में शुरू की गई थी मालाबार एक्सरसाइज
तब यह भारत-अमेरिका की नौसेनाओं के बीच ही होती थी
फिर इसमें जापान भी शामिल हुआ
2020 में ऑस्ट्रेलिया की एंट्री हुई
इस बार यह युद्ध अभ्यास बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया जाएगा
ज़रूरत पड़ी तो साथ हमला
भारतीय नौसेना के ईस्टर्न कमांड के सभी असेस्ट्स अभ्यास में शामिल होंगे। चारों देशों के युद्धपोत इसमें हिस्सा लेंगे। एक-दूसरे के युद्धपोतों पर कैसे लैंड करना है, यह भी देखेंगे। यह भी परखा जाएगा कि जरूरत पड़ने पर चारों मिलकर कैसे किसी ऑपरेशन को अजाम दे सकते हैं। यह चीन के लिए एक बड़ा संदेश है।

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