प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से हमने जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं। बमबारी से दहला यूक्रेन अब पानी-पानी भी हो चुका है। एक खबर यह भी है कि रूस को अपने कब्जाये इलाके में से कुछ को छोड़ना भी पड़ा है। यह सब क्या दर्शाता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया सोच रही थी कि कहीं यूक्रेन पर परमाणु हमला नहीं हो जाये। वह तो हुआ नहीं लेकिन इस वॉटर बम ने जो बर्बादी की है वह एक बड़ी त्रासदी है। उन्होंने कहा कि इस घटना ने दुनिया भर की सेनाओं को कई सबक भी दिये हैं कि ऐसा भी किया जा सकता है। इस घटना के बाद अरुणाचल सीमा पर चीन ने जो डैम बनाये हुए हैं उसको लेकर हमें सावधान हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांध तोड़ कर कैसे नुकसान पहुंचाया जा सकता है यह यूक्रेन में हुई घटना के जरिये पूरी दुनिया ने देख लिया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यूक्रेन में बांध टूटने से आई बाढ़ की बात है तो उससे सर्वाधिक नुकसान यूक्रेन को ही उठाना पड़ा है। रूस के कब्जे वाले क्षेत्र में भी कई लोगों की मौत की खबर है। यह यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद 15 महीनों से अधिक समय में एक बड़ा पर्यावरणीय संकट है। रूस के नियंत्रण वाला नोवा कखोव्का शहर उस स्थान से पांच किलोमीटर दूर है जहां कखोव्का बांध टूटा है। बताया जा रहा है कि नाइपर नदी के पास रूस और यूक्रेन नियंत्रित इलाकों से छह हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा गया है तथा कई शहर और गांव पानी में डूब गए हैं। यह नदी लड़ाई का मोर्चा बनी हुई है। वहीं, राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने भी बांध के टूटने से हुए नुकसान का जायजा लेने के बाद कहा है कि वह नागरिकों को निकालने के प्रयासों का आकलन करने में मदद कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि बाढ़ का स्तर सामान्य से 5.6 मीटर ज्यादा था और क्षेत्र का करीब 600 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा पानी में डूबा हुआ है जो रूसी नियंत्रण वाले पूर्वी तट का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा है। इस घटना को लेकर वैश्विक नेताओं के बयान आना भी शुरू हो गये हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि बांध को नष्ट करना एक ‘हमला’ है और ‘अत्याचारी कृत्य’ है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के अधिकारियों ने रूस पर जानबूझकर बांध को तबाह करने का आरोप लगाया है, क्योंकि यह रूस के बलों वाले इलाके में स्थित था जबकि रूस ने बांध टूटने के लिए यूक्रेन की गोलाबारी को जिम्मेदार ठहराया है। कौन इस घटना के लिए जिम्मेदार है और कौन नहीं, यह सच शायद ही सामने आ पाये लेकिन इसने यूक्रेनी जनता पर मुश्किलों का एक बड़ा पहाड़ तो तोड़ ही दिया है।