बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर भारत की प्रतिक्रिया पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी दी कि अशांति पड़ोसी देशों तक फैल सकती है। यूनुस ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि जब भारत कहता है कि यह आंतरिक मामला है, तो मुझे दुख होता है। अगर भाई के घर में आग लगी है, तो मैं कैसे कह सकता हूं कि यह आंतरिक मामला है? कूटनीति में यह कहने की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध शब्दावली है कि यह उनका आंतरिक मामला है। पिछले महीने, भारत ने बांग्लादेश में सरकारी नौकरी कोटा के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि हम इसे बांग्लादेश के आंतरिक मामले के रूप में देखते हैं।
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‘बांग्लादेश छात्रों के विरोध का असर पड़ोसी देशों पर पड़ेगा’
मुहम्मद यूनुस ने कहा कि अगर बांग्लादेश में अशांति हो रही है, जहां 17 करोड़ लोग संघर्ष में हैं, सरकारी बलों द्वारा युवाओं को मार दिया जा रहा है और कानून व्यवस्था बिगड़ रही है, तो यह स्पष्ट है कि स्थिति बांग्लादेश की सीमाओं के भीतर सीमित नहीं रहेगी और पड़ोसी देशों को भी प्रभावित करेगी। यूनुस को उनके माइक्रोफाइनेंस कार्य और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए जाना जाता है। हालाँकि, उन्हें प्रधान मंत्री शेख हसीना के विरोध का सामना करना पड़ा है। उन्हें हाल ही में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके बारे में उनके समर्थकों का कहना है कि यह राजनीति से प्रेरित है।
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बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन
समाचारपत्र ‘डेली स्टार’ के अनुसार, रविवार को बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी (बीएसएमएमयू) में अज्ञात लोगों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। खबर के अनुसार, लाठी-डंडे लिए लोगों को अस्पताल परिसर में निजी कार, ऐम्बुलेंस, बाइक और बसों में तोड़फोड़ करते देखा गया, जिससे मरीजों, तीमारदारों, डॉक्टरों और अन्य कर्मियों में भय पैदा हो गया। प्रदर्शनकारियों ने हसीना के वार्ता के निमंत्रण को खारिज कर दिया और सरकार के इस्तीफे की मांग की है।