प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल में संपन्न भारत की टू प्लस टू वार्ताओं से देश को क्या लाभ हुआ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह वार्ताएं सार्थक रहीं। उन्होंने कहा कि अमेरिका इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने के लिए तमाम तरह की वार्ताओं में व्यस्त रहा लेकिन इसके बावजूद उसने भारत के साथ टू प्लस टू वार्ता को महत्व दिया और इसके लिए अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री भारत आये। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि भारत और अमेरिका के संबंध बेहद प्रगाढ़ हो रहे हैं और दोनों ही देश इस रिश्ते को समान महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह वार्ता लगभग उसी समय के दौरान हुई जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के महत्वपूर्ण दौरे पर थे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता की बात है तो वह भी काफी सार्थक रही। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी आर्थिक एवं सुरक्षा साझेदारी को गहरा करने का संकल्प जताया है और एक ‘‘मुक्त, स्वतंत्र, समावेशी एवं नियम आधारित’’ हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र चीन की बढ़ती आक्रामकता का गवाह बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) वार्ता पर आगे बढ़ने के महत्व को रेखांकित किया और इस विषय पर चर्चा की। दोनों देशों ने अपने छात्रों और पेशेवरों की दोनों देशों में आवाजाही अधिक सुगम बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के तरीके पर बात की। इसके अलावा दोनों देशों ने पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की। साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरवाद और चरमपंथ के मुद्दे पर भी चर्चा की। दूसरे भारत और ऑस्ट्रेलिया ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय संवाद में दोनों देशों ने सूचना के आदान-प्रदान और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को लेकर सहयोग और बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के तहत ऑस्ट्रेलियाई उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग से मुलाकात काफी सार्थक रही।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंध ऐसे समय में पिछले एक साल में तेजी से मजबूत हुए हैं, जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और ‘‘सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी चिंता’’ भी है। उन्होंने कहा कि हम एक महासागर साझा करते हैं और इस अर्थ में हम पड़ोसी हैं तथा हमारे दोनों देशों के लिए मिलकर काम का इससे महत्वपूर्ण समय कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को ‘‘असाधारण चुनौतियों’’ का सामना करना पड़ता है और दोनों देशों के लिए इनसे निपटने की योजना बनाना महत्वपूर्ण है।