नया साल आने वाला है। लेकिन साल 2020 का वो दौर था जब नए साल की आहट में एक महामारी ने दस्तक दी थी और देखते ही देखते लाखों जाने ली थी। कोरोना वायरस कहां से आया, कब आया और कैसे आया। इन सवालों का जब भी जिक्र बोता है तो नजर चीन पर जाकर टिकती है। लेकिन अपनी सबूतों की इमारतों पर चीन इस बात को झूठला देता है या पीछे हट जाता है। अब चीनी सरकार ने कहा कि उसने सबसे अधिक कोविड-19 डेटा और शोध निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा किए हैं और इस बात पर जोर दिया कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच अन्य देशों में भी की जानी चाहिए। बीजिंग की यह टिप्पणी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा देश से महामारी की शुरुआत के पांच साल बाद इसकी उत्पत्ति पर डेटा साझा करने का आग्रह करने के बाद आई है। अब तक हुए कई अध्ययनों में कोविड की उत्पत्ति को चीनी शहर वुहान से जोड़ा गया है।
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चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि वैश्विक स्तर पर वायरस के स्रोत के बारे में अधिक सुराग सामने आ रहे हैं और इसकी उत्पत्ति का पता लगाने वाले अध्ययनों को वैश्विक परिप्रेक्ष्य से देखा जाना चाहिए। चीन वैज्ञानिक ट्रैसेबिलिटी अनुसंधान को बढ़ावा देना जारी रखने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने को तैयार है। ट्रैसेबिलिटी का काम वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर आधारित होना चाहिए। रॉयटर्स ने चीनी अधिकारियों के हवाले से कहा कि वैज्ञानिक समुदाय में अधिक से अधिक सुराग वैश्विक स्तर पर वायरस के स्रोत की ओर इशारा करते हैं।
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डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को चीन से कोविड महामारी की उत्पत्ति पर डेटा साझा करने का आग्रह किया और कहा कि यह एक नैतिक और वैज्ञानिक अनिवार्यता है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निगरानी संस्था के एक बयान में कहा गया है। देशों के बीच पारदर्शिता, साझाकरण और सहयोग के बिना, दुनिया भविष्य की महामारियों और महामारियों को पर्याप्त रूप से रोक नहीं सकती और उनके लिए तैयारी नहीं कर सकती।
क्या अगली महामारी से लड़ने को तैयार है दुनिया?
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने दिसंबर में इस मुद्दे पर बात की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि दुनिया कोविड-19 की तुलना में अगली महामारी के लिए तैयार भी है और नहीं भी। उन्होंने कहा था अगर अगली महामारी आज आती है, तो दुनिया को अभी भी वैसे कमजोरियों का सामना करना पड़ेगा, जिसने 5 साल पहले कोविड-19 को फैलने का मौका दिया था।