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Prabhasakshi Exclusive: Britain ने Ukraine को जो खरी-खरी सुनाई है वह War में Zelensky को पश्चिम के समर्थन घटने का संकेत है

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए 500 से ज्यादा दिन हो गये हैं। इस समय युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? इसके अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विद्रोह के कुछ दिनों बाद वैगनर प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन से आखिर क्यों मुलाकात की? साथ ही हम यह भी जानना चाहते हैं कि अमेरिका को क्यों और कैसे लग रहा है कि यूक्रेन में स्थायी शांति लाने में भारत कोई भूमिका निभा सकता है? क्या पर्दे के पीछे से कुछ वार्ताएं चल रही हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि युद्ध के ताजा हालात यह हैं कि किसी को कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है। नाटो देश भी यूक्रेन को मदद देते देते थक चुके हैं। ब्रिटेन के एक वरिष्ठ मंत्री ने तो यहां तक कह दिया है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति को लगता है कि हमने कोई अमेजन का गोदाम खोल रखा है जहां लिस्ट लेकर आ जाओ और हथियार लेकर चले जाओ। यूक्रेन अपने दम पर कुछ कर नहीं पा रहा है और अपने हारे हुए इलाकों में भी वापस आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उन्होंने कहा कि नाटो देशों के बीच भी चर्चा हो रही है कि हमारा इतना खर्च हो रहा है और युद्ध में अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। उलटा नाटो देशों की रक्षा कंपनियों को डर सता रहा है कि उनके बम बंदूक को जिस तरह रूस धराशायी करता जा रहा है उससे उनकी मार्केट वैल्यू कम हो रही है क्योंकि दुनिया का कोई और देश उनसे रक्षा सामान लेने से कतरायेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक जानमाल के नुकसान की बात है तो रूस के करीब 60 हजार लोगों की जान गयी है जबकि यूक्रेन में लाखों लोग मारे गये हैं और एक करोड़ से ज्यादा विस्थापित या बेघर हो गये हैं। इस लड़ाई को बड़े देश भले नियंत्रित कर रहे हैं लेकिन नुकसान नुकसान यूक्रेन की आम जनता का हो रहा है। जिस तरह यूक्रेन नाटो के करीब जाता दिख रहा है उसको देखते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वह चेतावनी सही लग रही है कि दो देशों के बीच की यह लड़ाई विश्वयुद्ध का रूप ले सकती है। जहां तक वैगनर ग्रुप के प्रमुख से पुतिन की मुलाकात की बात है तो उन्होंने इसके जरिये यह संकेत दिया है कि वह किसी भी विद्रोह को तुरंत कुचल सकते हैं और अपने विरोधियों को वार्ता की टेबल पर लाने की क्षमता रखते हैं। इस युद्ध की सबसे खराब बात जो होने जा रही है वह यह कि अमेरिका ने यूक्रेन को कलस्टर बम देने पर हामी भरी है। साल 2008 से 2010 के बीच विश्व स्तर पर कलस्टर बम के उपयोग के खिलाफ एक मुहिम चली थी जिस पर 100 से ज्यादा देशों ने हस्ताक्षर किये थे मगर अमेरिका और यूक्रेन ने कलस्टर बम का उपयोग नहीं करने वाले घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये थे। कलस्टर बम मानव के लिए बहुत हानिकारक हैं और इसका दुष्प्रभाव आने वाले वर्षों तक दिखाई देगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यूक्रेन में शांति लाने में भारत की भूमिका की बात है तो भारत ने सदैव कहा है कि वह युद्ध में तटस्थ नहीं बल्कि शांति के पक्ष में है। इसलिए यूक्रेन में स्थायी शांति लाने के लिए मदद करने में भारत की भूमिका का अमेरिका ने स्वागत किया है। कीव में अमेरिकी राजदूत ब्रिजेट ए ब्रिंक ने भी कहा है कि भारत वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद और जी-20 की मौजूदा अध्यक्षता के साथ यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने में अहम योगदान दे सकता है। ब्रिंक ने कहा है कि विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भारत का नेतृत्व अहम है तथा ‘ग्लोबल साउथ’ पर युद्ध के विपरीत प्रभाव को लेकर नई दिल्ली की बढ़ती चिंता इस बात की ज़मीन तैयार करती है कि वह संकट को कम करने में भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका स्वतंत्रता और लोकतंत्रों का समर्थन करने के लिए भारत समेत दुनियाभर में अपने सभी साझेदारों और सहयोगियों के साथ काम करने की उम्मीद रखता है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राजदूत ने कहा कि वैश्विक नेतृत्व के लिए भारत की आकांक्षाएं और जी-20 की ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ थीम के जरिए सामूहिक कार्रवाई का उसका आह्वान उस भावना को दर्शाता है जो ‘शांति’ को हासिल करने के लिए जरूरी है।

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