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Israel-Hamas War Year Ender: इज़राइल ने हमास युद्ध में क्या खोया-पाया, भारत के लिए क्या सबक

जैसे 32 दांतो के बीच जीभ रहती है वैसे ही अरब राष्ट्रों के बीच इजरायल है। वह दुनिया का एक अकेला ऐसा देश है जो बहुत ही छोटा होने व इतने आक्रामक पड़ोसियों से घिरा होने के बावजूद अपनी शर्तों पर जी रहा है। प्रगति कर रहा है और रक्षा क्षेत्र में अमेरिका की बराबरी कर रहा है। कमोबेश यही स्थिति भारत की भी है। उसके पड़ोस में दहशतगर्द मुल्क पाकिस्तान है। अतिक्रमण की ताक में बैठा चीन है। भारत और इज़राइल दोनों एक बहुत ही शत्रुतापूर्ण पड़ोस में रहते हैं। 26/11 के हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य हमला नहीं किया तो उसे दुनिया भर से सहानुभूति मिली। लेकिन इससे आतंकवादियों का मनोबल बढ़ता ही गया और फिर पुलवामा और बालाकोट जैसे हमले भी देखने को मिले। इसके ठीक अलग इजरायल को भी हमास जैसे संगठन से हमले झेलने पड़ते हैं, वहीं हूती विद्रोहियों की तरफ से भी उकी घेराबंदी लगातार की जाती रही है। लेकिन इजरायल अपने ऊपर हुए हमलों का जबाव उतनी ही आक्रमकता से देता है। भारत को इज़राइल से जो एक बड़ा सबक सीखने की ज़रूरत है वह है असफलताओं से फिर से उठना। इज़राइल को ‘स्टार्ट-अप राष्ट्र’ भी कहा जाता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार सर्वजनिक मंचों से इजराइल की तारीफें कर चुके हैं। भारत, इजराइल के साथ रक्षा सौदे भी कर रहा है और उसके विशेषज्ञ सैनिक हमारे सैनिकों को नई बातें भी ट्रेनिंग दे रहे हैं।

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 हमास युद्ध में इजरायल को क्या नुकसान
इजरायल के हमास के खिलाफ गाजा पट्टी में जमीनी हमले शुरू करने के बाद इन हमलों में इजरायल के भी कई सैनिकों की मौत हो चुकी है। हालांकि अभी तक नेतन्याहू को इस युद्ध की वजह से कुछ हासिल होता हुआ नहीं दिख रहा है। किसी भी हाई-प्रोफाइल हमास नेता की अभी तक मौत नहीं हुई है, जो दिखाता है कि इजरायल का जमीना हमला उतना कारगर नहीं रहा है।  इजरायल हमास युद्ध का अनुमानित खर्च पाकिस्तान के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग छह गुना है।
इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा 
इजराइल ने हमेशा इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया है। एक बड़ी बात जो भारतीय और इजरायली नवाचार प्रणाली को अलग करती है वह यह है कि इजरायली विफलता को स्वीकार करते हैं, और असफल उद्यमियों को कलंकित नहीं किया जाता है। भारत और इज़राइल ने एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिलाईं। दशकों से भारत का झुकाव फिलिस्तीन की ओर था और कारगिल संघर्ष के दौरान यह रिश्ता बदल गया, जब इज़राइल ने अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति करके भारत की मदद की, जिससे कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे धकेलने में मदद मिली। तब से यह रिश्ता बहुत तेजी से आगे बढ़ा है। भारत ने 2008 में एक इज़राइली जासूसी उपग्रह, TecSAR लॉन्च किया था। भारत ने अपने शत्रु पड़ोसियों पर नज़र रखने के लिए इज़राइल से एक समान उपग्रह, RISAT-2 भी खरीदा था, यह सरकारी स्तर पर सहयोग था।

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उच्च प्रौद्योगिकी का पावर हाउस है इजरायल
आज इजराइल उच्च प्रौद्योगिकी का पावर हाउस है। यदि भारत के ‘स्टार्ट अप’ देश के रूप में सफल होने के मिशन को आगे बढ़ाना है तो मूल ‘स्टार्ट अप नेशन’ इज़राइल से बहुत कुछ सीखना है। कई सबक सीखने की जरूरत है जैसे शीर्ष दस सबसे सफल उद्यम पूंजी कंपनियों में से एक जेवीपी, एक प्रौद्योगिकी पावरहाउस की कार्यप्रणाली को देखना। नेगेव रेगिस्तान के मध्य में स्थित, जहां कुछ भी नहीं उगता, जेवीपी साइबर लैब्स को सर्वश्रेष्ठ में से एक का दर्जा दिया गया है। इसने शिशु विचारों को पोषित किया और पिछले कुछ वर्षों में इसने 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 120 कंपनियां बनाने में मदद की। लेकिन, इज़राइल को एक अनोखा स्टार्ट अप इकोसिस्टम क्या देता है। 
अटैकिंग मोड में भारत भी आया
जब पाकिस्तान ने 2019 में भारतीय सैनिकों पर पुलवामा हमले में सहायता की तो भारत ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में जैश के आतंकवादी शिविर बालाकोट पर बमबारी की। पाकिस्तानी विमानों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के एक विमान को मार गिराया और पायलट को पकड़ लिया। इससे यह भी पता चला कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा, इसलिए भारतीय हमले सीमित होने चाहिए ताकि सामान्य युद्ध में तेजी से बढ़ने से बचा जा सके। 

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