चालबाज चीन की नजरें केवल जापान पर ही नहीं बल्कि वो जापान के जरिए भी अमेरिका को साधने की कोशिश में है। जापान को ये बात भलि-भांति पता है। यही वजह है कि वो खुद को मजबूत करने में जुटा है। जापान ने अपने रक्षा बजट में भी बेहिसाब बढ़ोतरी की है। जापान अगले पांच साल में अपने सभी मिलिट्री बेस को अंडरग्राउंट करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में क्या पूर्वी एशिया में युद्ध का नया मोर्चा तैयार हो रहा है। क्या जापान और चीन के बीच अगली विनाशक लड़ाई हो सकती है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि जापान की रक्षात्मक तैयारी ड्रैगन को नश्तर की तरह चुभ रही है।
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दूसरे विश्वयुद्ध की तबाही झेलने वाले जापान की वैश्विक ताकत बनने की ख्वाहिश शी जिनपिंग को अखड़ने लगी है। यही पूर्वी एशिया में विध्वंसक युद्ध के डर को बढ़ा रही है। इसका नतीजा ये हुआ कि चीन के उपविदेश मंत्री सुन वेडांग जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच गए। 22 फरवरी को जापान के विदेश मंत्री यामादा शिगेओ के साथ हुई बैठक की शुरुआत में ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति में बड़ा परिवर्तन हुआ है। देखा जा रहा है कि एकीकृत, संरक्षणवाद और शीत युद्ध की स्थिति दोबारा लौट रही है। बता दें कि पिछले चार वर्षों में ये पहली ऐसी मुलाकात है जिसका मकसद तनावपूर्ण होते रिश्तों को सामान्य करना है।