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‘हमारा भविष्य, हमारी आवाज’: सीओपी15 से क्या चाहता है भारत का युवा

जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को हुए नुकसान से उबारने के लिये वैश्विक नेता क्या कदम उठाते हैं इससे पृथ्वी और युवाओं के भविष्य का सीधा संबंध है, इसके बावजूद निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी आवाज को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता।
संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन (सीओपी15) के तहत यहां 196 देशों ने2020 के बाद का वैश्विक जैवविविधता कार्यढांचा (जीबीएफ) तैयार किया था। यह प्रक्रिया मिस्र के शर्म अल-शेख में चार साल पहले जैव विविधता सम्मेलन में शुरू हुई थी।

इस पहल में जैव विविधता के नुकसान की भरपाई के लिए लक्ष्यों को निर्धारित करने में युवाओं, महिलाओं और लैंगिक अल्पसंख्यकों को शामिल करने और और इसे कैसे कार्यान्वित किया जाएगा, इसे लगातार मांग हो रही है।
सीबीडी के पोस्ट-2020 ओपन एंडेड वर्किंग ग्रुप के सह अध्यक्ष बेसिल वैन हार्वे ने यहां कहा कि जैव विविधता प्रक्रिया सम्मेलन में विभिन्न पक्षों ने महिला दबाव समूह, जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय स्वदेशी मंच और वैश्विक युवा जैव विविधता नेटवर्क (जीवाईबीएन) के साथ परामर्श किया है।
पिछले साल प्रकाशित एक यूनेस्को “2030 में विश्व” सर्वेक्षण रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान पर युवाओं की चिंताओं पर प्रकाश डाला।

रिपोर्ट से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को सबसे ज्यादा लोगों ने चुनौती माना। सर्वेक्षण में शामिल 15,000 उत्तरदाताओं में से 67 प्रतिशत ने इसे चुनौती माना।
युवा प्रतिनिधियों का मानना है कि जैव विविधता के सफलतापूर्वक संरक्षण, सीमांत समुदायों की जैव विविधता तक पहुंच को सुरक्षित करने और उस जैव विविधता के सतत उपयोग से लाभ पाने के उनके अधिकारों के लिए युवा दृष्टिकोण को अधिक तवज्जो दी जानी जरूरी है।

उनका मानना है कि एक समावेशी, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों के लिए ठोस सार्वजनिक नीति प्रदान करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भूमि और जल संसाधनों के संरक्षण तथा जैव विविधता के नुकसान को कम करने के लिए देश प्रतिबद्ध है।
जीवाईबीएन का हिस्सा युवा प्रतिनिधि श्रुति कोट्टिल्लिल ने कहा, “प्रकृति और मानव के अधिकार प्रकृति संरक्षण का एक अभिन्न पहलू हैं, विशेष रूप से भारत में जहां हमारे समुदाय संरक्षित क्षेत्रों के करीब रहते हैं।

इसलिए सीओपी15 में वैश्विक जैवविविधता कार्यढांचा (जीबीएफ) के उचित कार्यान्वयन के लिए संरक्षण के अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के साथ-साथ मानव और प्रकृति अधिकारों के स्पष्ट संदर्भ महत्वपूर्ण हैं।”
इंडियन बायोडायवर्सिटी यूथ नेटवर्क की राष्ट्रीय समन्वयक और सीओपी15 में युवा प्रितिनिधि पाखी दास कहती हैं, “भारतीय युवा हमारी राष्ट्रीय जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत हैं। यह हमारा भविष्य है जिस पर सीओपी15 में चर्चा की जा रही है।

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