प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि कांगो में चल रहे आंतरिक युद्ध का कारण क्या है और वहां के प्रकरण से दुनिया को क्या सीख लेने की जरूरत है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वहां बरसों से चल रहे आंतरिक संघर्ष से एक चीज तो स्पष्ट है कि यूएन शांति सेना वहां के हालात को काबू कर पाने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि कांगो में ही सबसे बड़ी यूएन शांति सेना तैनात है जिस पर अरबों रुपया खर्च होता है लेकिन वहां के हालात कभी भी सामान्य नहीं हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि कई रिपोर्टें दर्शाती हैं कि यूएन शांति सेना पर ही विद्रोहियों का समर्थन करने के आरोप लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि वहां सबसे बड़ी समस्या है कि स्थानीय लोगों को दबाया जाता है और उनकी बात नहीं सुनी जाती जिसके चलते संघर्ष बढ़ते रहते हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि कांगो के पड़ोस में स्थित रवांडा द्वारा समर्थित M23 विद्रोहियों ने दक्षिण किवु प्रांत में कांगो के सरकारी बलों पर हमला किया है, जिससे शांति की संभावना कम हो गयी है। उन्होंने कहा कि पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीकी नेताओं के शिखर सम्मेलन में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम के आह्वान के तीन दिन बाद भारी गोलाबारी शुरू हुई। उन्होंने कहा कि विद्रोहियों ने प्रमुख शहर गोमा सहित पूर्वी डीआर कांगो में बड़े पैमाने पर भूमि पर कब्जा कर लिया है और वे अब क्षेत्र के एक अन्य प्रमुख शहर दक्षिण किवु की राजधानी बुकावु की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी की शुरुआत से वहां पर अब तक लगभग 2,900 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि लगभग 700,000 अन्य लोगों को अपने घरों से मजबूर होना पड़ा और हजारों लोग घायल हो गए हैं।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एम23 सहित विद्रोही समूहों के गठबंधन, कांगो रिवर एलायंस का कहना है कि उसके लड़ाके अपनी लड़ाई बुकावु तक ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हजारों शरणार्थी, जो कहीं और भाग गए हैं, उन्हें M23 द्वारा घर लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि एम23 ने इस आरोप का खंडन किया है, लेकिन कई रिपोर्टों में कहा गया है कि विस्थापितों के लिए बनाये गये कई बड़े शिविरों को नष्ट कर दिया गया है और उनके निवासियों को संघर्ष क्षेत्रों में अपने गांवों में वापस जाने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने कहा कि एम23, जो जातीय तुत्सी लोगों से बना है, का कहना है कि वे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, जबकि डीआर कांगो की सरकार का कहना है कि विद्रोही पूर्वी क्षेत्र की विशाल खनिज संपदा पर नियंत्रण चाहते हैं।