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Prabhasakshi Exclusive: Myanmar के बिगड़ते हालात और Arakan Army की बढ़ती ताकत ने भारतीय सीमाओं के लिए क्या खतरा पैदा किया है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि म्यांमार में जुंटा के वेस्टर्न कमांड हेडक्वॉर्टर में विद्रोही सैन्य समूह का कब्जा हो गया है। इससे भारत के लिए क्या संभावित खतरे उत्पन्न हो गये हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पश्चिमी म्यांमार में एक शक्तिशाली जातीय सशस्त्र समूह अराकान आर्मी ने रखाइन राज्य में जुंटा के पश्चिमी कमान मुख्यालय पर कब्जा करके महत्वपूर्ण सैन्य जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि पिछले अगस्त में पूर्वोत्तर कमान पर म्यांमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सेना के कब्जे के बाद, यह पांच महीनों में जातीय विद्रोहियों के कब्जे में आने वाली दूसरी क्षेत्रीय कमान है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पश्चिमी कमान के पतन से रखाइन राज्य के अधिकांश हिस्से पर अराकान आर्मी का नियंत्रण मजबूत हो गया है, जिससे ग्वा टाउनशिप में केवल एक ही जुंटा का गढ़ बचा है। उन्होंने कहा कि हालात यह हैं कि पड़ोसी मैग्वे क्षेत्र में भी अराकान आर्मी के संभावित आक्रमणों की आशंका जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि गहन लड़ाई और प्रमुख सैन्य नेताओं को पकड़ने वाला यह ऑपरेशन अराकान आर्मी के बढ़ते रणनीतिक प्रभुत्व और परिचालन क्षमता को रेखांकित करता है। उन्होंने का कि अपने तात्कालिक सैन्य निहितार्थों से परे, यह जीत जुंटा के मनोबल और नियंत्रण को एक गंभीर झटका देती है, राज्य की राजधानी को अलग-थलग कर देती है तथा महत्वपूर्ण चीन और भारत समर्थित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं तक पहुंच को जटिल बना देती है। उन्होंने कहा कि स्थितियां दर्शा रही हैं कि अराकान आर्मी एक अग्रणी खिलाड़ी बन चुका है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारतीय सीमाओं को अराकान आर्मी से खतरे की बात है तो हमारे सुरक्षा बल पूरी तरह मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी हर तरह के प्रयास विफल किये गये हैं और आगे भी किसी भी संभावित हमले या घुसपैठ को विफल करने के लिए हमारे सुरक्षा बल सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर हमें बांग्लादेश के हालात को देखते हुए वहां से होने वाली घुसपैठ रोकनी है तो दूसरी ओर म्यांमार से होने वाली घुसपैठ रोकने की भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि सीमा पर हमारे कई गांव म्यांमार के एकदम निकट हैं इसलिए हमारे बल काफी सतर्कता बरत रहे हैं ताकि म्यांमार क्षेत्र में होने वाला आपसी संघर्ष कहीं हमें कोई नुकसान नहीं पहुँचाए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत को सर्वाधिक खतरा चिन नेशनल आर्मी से है क्योंकि यह भारत विरोधी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई मिजो ग्रुप भी खतरा पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं लोगों का हाथ मणिपुर में अशांति पैदा करने में भी है इसलिए भारत सीमाओं पर हर हरकत पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि हमारे लिये चुनौतियां कई हैं इसलिए पाकिस्तान, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश सीमाओं पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है।

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