अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन की ओर से आंखें फेर ली हैं तो ब्रिटेन ने युद्ध में फंसे इस देश को गले लगा लिया है। हम आपको बता दें कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूक्रेनी राष्ट्रपति को “तानाशाह” कहे जाने के तुरंत बाद एक फोन कॉल में वोलोदिमीर जेलेंस्की को समर्थन की पेशकश की है। खास बात यह है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का यह बयान ट्रंप के साथ वार्ता के लिए उनकी वाशिंगटन यात्रा से पहले आया है। हम आपको बता दें कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आवास व कार्यालय ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री स्टार्मर ने यूक्रेन के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता के रूप में राष्ट्रपति जेलेंस्की के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और कहा कि युद्ध के दौरान चुनावों को स्थगित करना पूरी तरह से उचित था, जैसा कि ब्रिटेन ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया था। हम आपको याद दिला दें कि जेलेंस्की का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल मई में समाप्त हो गया था। रूस के साथ यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच घोषित मार्शल लॉ के तहत चुनाव स्थगित हैं। डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रयासों के प्रति अपना समर्थन दोहराया है जिससे रूस को भविष्य में किसी भी आक्रमण से रोका जा सके।
देखा जाये तो खासकर यूरोप में इस प्रकार की धारणा बनती जा रही है कि यूक्रेन में चुनाव पर जोर देकर यूक्रेन सरकार को अवैध ठहराने के पुतिन के बिछाए जाल में ट्रंप फंस रहे हैं। हम आपको याद दिला दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को 18 फरवरी को सऊदी अरब में हुई उनके देश के भविष्य से संबंधित चर्चा से बाहर रखा गया था। इस वार्ता के दौरान न तो कोई यूक्रेनी प्रतिनिधि था और न ही यूरोपीय संघ का कोई प्रतिनिधि था। वार्ता में केवल अमेरिकी एवं रूसी प्रतिनिधिमंडल और उनके सऊदी मेजबान थे। हम आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद यह बैठक हुई थी। इस बैठक का रूस में हर्षोल्लास से जश्न मनाया गया। देखा जाये तो यूक्रेन के भविष्य के बारे में निर्णय लेने में उसकी कोई भूमिका न होना, पुतिन की अपने पड़ोसी के प्रति नीति के अनुरूप है। पुतिन लंबे समय से यूक्रेन देश और यूक्रेन सरकार की वैधता को अस्वीकार करते रहे हैं।
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हालांकि, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि भविष्य की चर्चाओं में किसी न किसी स्तर पर यूक्रेन को शामिल करना होगा, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कार्यों एवं शब्दों ने कीव की स्थिति और प्रभाव को निस्संदेह कमजोर किया है। अमेरिका जेलेंस्की और यूक्रेन सरकार को अवैध ठहराने की रूस की योजना के अनुरूप तेजी से आगे बढ़ रहा है और शांति समझौते के तहत यूक्रेन में चुनाव कराने की वकालत कर रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जेलेंस्की की वैधता को चुनौती देना यूक्रेनी नेतृत्व को बदनाम करने, यूक्रेन के लिए उसके प्रमुख सहयोगियों से समर्थन को कमजोर करने और जेलेंस्की एवं संभवतः यूक्रेन को वार्ता में भागीदार के रूप में शामिल नहीं करने के लिए रूस द्वारा जानबूझकर चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है।
हम आपको बता दें कि रूसी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन तीन साल से जारी युद्ध के कई पर्यवेक्षकों को उनके इस दावे पर संदेह है, क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी हैं और वह अभी तक किसी भी अस्थायी युद्धविराम समझौते पर सहमत नहीं हुआ है। इसके बावजूद, रूस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि समस्या यह है कि यूक्रेन में ऐसा कोई वैध यूक्रेनी प्राधिकार नहीं है, जिसके साथ वह बात कर सके।
हम आपको बता दें कि सऊदी अरब में हुई बैठक में अमेरिका ने किसी भी शांति समझौते के एक महत्वपूर्ण हिस्से के तहत यूक्रेन में चुनावों पर चर्चा की। ट्रंप ने स्वयं 18 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘हमारे पास ऐसी स्थिति है कि यूक्रेन में चुनाव नहीं हुए हैं। वहां ‘मार्शल लॉ’ है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि जेलेंस्की की स्वीकृति रेटिंग घटकर ‘‘चार प्रतिशत’’ रह गई है। लेकिन ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की स्वीकृति ‘रेटिंग’ 57 प्रतिशत है। यदि फरवरी 2022 में रूस द्वारा आक्रमण शुरू करने के बाद यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू नहीं होता, तो देश में पिछले साल मई में चुनाव हो गए होते। हम आपको बता दें कि ‘मार्शल लॉ’ अधिनियम को यूक्रेन ने 24 फरवरी, 2022 को लागू किया था। यह आपातकाल में यूक्रेन में सभी चुनावों पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाता है।
यह भी कहा जा रहा है कि जेलेंस्की सैद्धांतिक रूप से चुनावों के खिलाफ नहीं हैं और उन्होंने इस बात पर सहमति जताई है कि चुनाव सही समय पर होने चाहिए। जेलेंस्की ने दो जनवरी को एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मार्शल लॉ खत्म हो जाने के बाद गेंद संसद के पाले में होती है- संसद फिर चुनाव की तारीख तय करती है।’’ जेलेंस्की ने चार जनवरी को कहा था कि समस्या समय और परिस्थति की है। उन्होंने कहा था कि युद्ध के दौरान चुनाव नहीं हो सकते। कानून, संविधान और अन्य चीजों में बदलाव करना जरूरी है। ये महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, लेकिन कुछ गैर-कानूनी, बहुत मानवीय चुनौतियां भी हैं। हम आपको बता दें कि यूक्रेन में विपक्षी नेता भी इस बात से सहमत हैं कि चुनाव के लिए अभी उचित समय नहीं है। जेलेंस्की के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पेट्रो पोरोशेंको और विपक्षी गोलोस पार्टी की नेता इना सोवसुन ने युद्धकालीन चुनावों के विचार को खारिज कर दिया है। यूक्रेनी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से तर्क दिया है कि युद्ध के दौरान चुनाव कराना यूक्रेनी समाज के लिए अस्थिरता पैदा करेगा तथा रूसी आक्रमण के बीच आंतरिक एकता को कमजोर करेगा।
दूसरी ओर, रूस ने मौजूदा संघर्ष के दौरान बेशक चुनाव कराए, लेकिन अधिकतर पर्यवेक्षकों के अनुसार 2024 का चुनाव न तो स्वतंत्र था और न ही निष्पक्ष। इस चुनाव में पुतिन ने 87 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल की थी। देखा जाये तो चुनाव को बातचीत की एक शर्त के रूप में पेश करके पुतिन यूक्रेन के लिए जाल बिछा रहे हैं। हालांकि यूक्रेनी संविधान में कहा गया है कि चुनाव तभी हो सकते हैं, जब ‘मार्शल लॉ’ हटा दिया जाए, लेकिन ‘मार्शल लॉ’ को हटाना तभी संभव है, जब युद्ध खत्म हो जाए, यानी युद्ध विराम के बिना कोई चुनाव संभव नहीं है। दूसरी ओर, चुनावों के लिए सहमत न होने पर यूक्रेन को शांति समझौते में बाधा पैदा करने वाले के रूप में पेश किया जा सकता है।
बहरहाल, अमेरिका ने यूक्रेन सरकार को एक असंभव स्थिति में डाल दिया है: मतदान के लिए सहमत हो जाएं और आंतरिक विभाजन एवं बाहरी हस्तक्षेप का जोखिम उठाएं या इसे अस्वीकार कर दें और रूस, अमेरिका को भी यूक्रेन के नेताओं को अवैध और अपने लोगों की ओर से बातचीत करने में असमर्थ के रूप में पेश करने की अनुमति दें।