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अब तेरा क्या होगा जेलेंस्की? Trump ने भगाया तो British PM और यूरोपीय नेताओं ने गले लगाया… मगर Ukraine के काम कोई नहीं आया

अमेरिका ने यूक्रेन का साथ छोड़ा तो ब्रिटेन और यूरोप जेलेंस्की के साथ खड़े नजर आने लगे लेकिन हर कोई अपने ऊपर सारी जिम्मेदारी लेने से बच रहा है और बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दे रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद की कमान दोबारा संभालते ही विश्व राजनीति में जो बदलाव देखने को मिल रहा है उससे सभी भौंचक हैं। देखा जाये तो ट्रंप के कदमों ने अमेरिका के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों को मजबूत कर दिया है लेकिन इसके मित्रों को कमजोर और चिंतित कर दिया है। अब कोई भी अमेरिकी सहयोगी- चाहे वह यूरोप में हो या एशिया में, यह भरोसा नहीं रख सकता कि वाशिंगटन अपनी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा। हम आपको याद दिला दें कि फरवरी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सदस्यों से अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अमेरिका अब स्वयं को यूरोपीय सुरक्षा का मुख्य ‘गारंटर’ संभवतः नहीं मानता।
देखा जाये तो अमेरिका के तेजी से पीछे हटने का मतलब है कि यूरोपीय देशों को न केवल शीघ्रता से हथियार जुटाने की इच्छाशक्ति और साधन जुटाने होंगे, बल्कि यूक्रेन की सुरक्षा के लिए सामूहिक रूप से आगे आना होगा। वे ऐसा कर पाएंगे या नहीं, यह अब भी स्पष्ट नहीं है। वहीं एशिया में भी अमेरिकी सहयोगियों के सामने अब और विकल्प हैं। जापान और दक्षिण कोरिया अब सभी विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं ताकि चीन को रोका जा सके। एक तरह से अमेरिका के मित्र देश अब रक्षा मामलों में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। वैसे, एक बात और उभर कर आ रही है कि ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में इतने कम समय में जो अराजकता फैलाई है, वह अप्रत्याशित और हैरान करने वाली है। ‘अमेरिका फर्स्ट’ (अमेरिका प्रथम) की कोशिश में ट्रंप अपने देश का नुकसान करते जा रहे हैं। वह अमेरिका को अलग-थलग कर रहे हैं और उसके सबसे करीबी दोस्तों को ही अब उस पर भरोसा नहीं रह गया है।

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वहीं दूसरी ओर, ट्रंप ने यूक्रेन का साथ छोड़ा तो पूरे यूरोप के होश उड़ गये हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें। अगर वह यूक्रेन का साथ नहीं दें तो कल को रूस उनकी जमीन तक पहुँच सकता है। अगर वह यूक्रेन का साथ दें तो उन्हें पैसा और रक्षा साजो-सामान देना पड़ेगा। यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं की हालत पहले ही पतली हो रखी है और वह लंबे समय तक यूक्रेन को मदद कर पाने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन उनकी मजबूरी यह भी है कि वह पुतिन को जीतते नहीं देखना चाहते। देखा जाये तो यूरोपीय देश बड़े धर्मसंकट में फंस गये हैं। जोश जोश में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने लंदन में यूरोपीय नेताओं का एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन तो बुला लिया लेकिन इसमें भी यही राय उभर कर आई कि अमेरिका का सहयोग मिलना बहुत जरूरी है। यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के लिए एक नया प्रस्ताव तैयार कर जेलेंस्की को बोला है कि वह इसे लेकर ट्रंप के सामने जायें तो उनका काम आसान हो सकता है।
हम आपको बता दें कि यूरोपीय नेताओं के शिखर सम्मेलन में ‘ओवल ऑफिस’ की घटना छाई रही। सम्मेलन के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर ने कहा कि यूरोपीय नेता अमेरिका को पेश करने के लिए एक यूक्रेन शांति योजना तैयार करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना को देखकर अमेरिका यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी दे सकता है जिसकी यूक्रेन को बड़ी जरूरत है। यूरोपीय नेता इस बात पर भी सहमत हुए कि उन्हें ट्रंप को यह दिखाने के लिए रक्षा पर अधिक खर्च करना चाहिए कि महाद्वीप अपनी रक्षा कर सकता है। हालांकि ट्रंप के सामने पेश करने के लिए जो योजना बनाई गयी है उसका ब्यौरा नहीं दिया गया है लेकिन कहा जा रहा है कि योजना में एक महीने का युद्धविराम शामिल होगा जो हवाई और समुद्री हमलों पर लागू होगा लेकिन जमीनी लड़ाई पर नहीं। बताया जा रहा है कि यदि अधिक ठोस शांति समझौता हुआ तो यूरोपीय सैनिकों को तैनात किया जाएगा। हम आपको बता दें कि ट्रंप कह चुके हैं कि वह किसी भी कीमत पर अमेरिकी सैनिकों को यूक्रेन की रक्षा के लिए नहीं भेजेंगे दूसरी ओर ज़ेलेंस्की यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यूक्रेन शांति समझौते के तहत अपना कोई क्षेत्र रूस को नहीं देगा और वह अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को बचा सकते हैं, लेकिन बातचीत इस बार बंद दरवाजों के पीछे करनी होगी। देखना होगा कि ट्रंप क्या जेलेंस्की की इस शर्त को स्वीकार कर उनसे दोबारा मिलने को राजी होते हैं?
जहां तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ जेलेंस्की की बैठक की बात है तो आपको बता दें कि दोनों नेताओं की मुलाकात में इस बात पर चर्चा की गयी कि अगर अमेरिका यूक्रेन से समर्थन वापस ले लेता है तो यूरोपीय देश यूक्रेन और खुद की रक्षा कैसे कर सकते हैं। हम आपको यह भी बता दें कि ब्रिटेन में ‘यूगोव’ के सर्वेक्षण में पाया गया कि 48 प्रतिशत ब्रिटिश लोगों का मानना है कि अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की तुलना में यूक्रेन का समर्थन करना अधिक महत्वपूर्ण है। केवल 20 प्रतिशत लोग यूक्रेन के बजाय अमेरिका का समर्थन करने के पक्ष में हैं। हम आपको यह भी बता दें कि एक ओर जहां जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से जाने को कहा गया वहीं ब्रिटेन में उनका शाही स्वागत किया गया। जेलेंस्की ने सैंड्रिंघम में महाराजा चार्ल्स से मुलाकात की। वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ‘ओवल ऑफिस’ में हुई तीखी बहस के एक दिन बाद ब्रिटेन आए यूक्रेन के राष्ट्रपति को ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने गले लगाया और कहा कि उन्हें देश का अटूट समर्थन प्राप्त है। जेलेंस्की शनिवार को जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के कार्यालय ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ पहुंचे तो वहां बाहर एकत्र लोग उनके समर्थन में नारे लगा रहे थे। स्टार्मर ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को गले लगाया और वह उन्हें अंदर ले गए। बाद में जेलेंस्की ने विभिन्न यूरोपीय नेताओं से मुलाकात की। हम आपको बता दें कि यूरोपीय देशों के शिखर सम्मेलन में फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, स्पेन, कनाडा, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज्य और रोमानिया के नेता भी शामिल हुए। तुर्किये के विदेश मंत्री, नाटो महासचिव तथा यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष ने भी इसमें भाग लिया। 
बहरहाल, रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई भी ठोस समाधान निकालने में यह शिखर सम्मेलन विफल रहा। अपनी अपनी ओर से यूरोपीय देशों ने आर्थिक और सैन्य मदद का ऐलान तो कर दिया है लेकिन देखना होगा कि वह कब तक ऐसा करते रह पाने में खुद को सक्षम पाते हैं। वैसे जेलेंस्की को फिर से ट्रंप की शरण में जाने का जो सुझाव दिया गया है वह यही संदेश दे रहा है कि सिर्फ हमारे भरोसे मत रहना।

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