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Prabhasakshi Exclusive: Israel Defense Forces आखिर Iran में कहां पर बम बरसाने की तैयारी कर रही हैं?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल-हमास संघर्ष के एक साल पूरा होने पर ऐसा लग रहा है कि एक क्षेत्रीय युद्ध शुरू हो चुका है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? हमने यह भी जानना चाहा कि आखिरकार इजराइल ईरान में कहां पर बम बरसाने की तैयारी कर रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इजराइल का रुख दर्शा रहा है कि ईरान को करारा सबक सिखाया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह करारा सबक क्या होगा इसको लेकर अटकलें भी चल रही हैं और दुनियाभर में चिंता भी देखी जा रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस मुद्दे पर आज इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात कर उन्हें संयम रखने और कार्रवाई के प्रभाव का ध्यान रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि बाइडन और नेतन्याहू के बीच हुई वार्ता को लेकर इस प्रकार की भी रिपोर्ट है कि इस दौरान ईरान पर हमले की योजना को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि इसीलिए संभावित कार्रवाई को लेकर ईरान में भी दहशत देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि खबर है कि ईरानी अधिकारियों ने खाड़ी देशों को चेताया है कि वह उसके खिलाफ होने वाली इजराइली कार्रवाई के दौरान इजराइल को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं करने दें।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक क्षेत्रीय युद्ध की बात है तो यह बात सही है कि लगभग एक वर्ष पहले गाजा में शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया में फैल चुका है। इजराइल अपनी सीमा से दूर देशों और समूहों से लड़ रहा है, जिसके कई वैश्विक परिणाम भी हैं। उन्होंने कहा कि ईरान द्वारा किये गये हमले से ये साफ है कि यह संघर्ष एक तरफ इजराइल व उसके पश्चिमी सहयोगियों और दूसरी तरफ रूस व चीन द्वारा समर्थित ईरान और उसके सहयोगियों के बीच सीधा टकराव बन गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इजराइल को सैन्य और कूटनीतिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जबकि रूस ने ईरान को लड़ाकू विमान और वायु रक्षा तकनीक भेजने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि रूस, यूक्रेन के साथ अपने युद्ध के लिए ईरान से हथियार भी खरीद रहा है, जिससे तेहरान को बहुत जरूरी नकदी प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह पूरी तरह क्षेत्रीय युद्ध में नहीं तब्दील होगा क्योंकि खाड़ी देशों ने ईरान को अपना समर्थन नहीं जताया है और ना ही फिलस्तीन और लेबनान के अन्य पड़ोसी इन दोनों देशों का किसी भी तरह से साथ दे रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ईरान सीधे तौर पर जंग में शामिल हो चुका है इसलिए एक चीज जो तेहरान को बहुत चिंतित कर रही है वह यह है कि इजराइल, अमेरिका के साथ मिलकर उसके महत्वपूर्ण ठिकानों या फिर सुविधा केंद्रों को निशाना बना सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान को उसके संचार और परिवहन नेटवर्क, वित्तीय संस्थान और तेल उद्योग पर हमले की आशंका हैं। इससे ईरान के भीतर अराजकता पैदा हो सकती है, जिससे सरकार को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि तेहरान ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को किसी भी अनहोनी का शिकार होने से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है। उन्होंने कहा कि ईरानी नेताओं को डर सता रहा है कि इजराइल और अमेरिका उसके परमाणु ठिकानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि इजराइल की ओर से ईरान को हमेशा के लिए एक बड़ा सबक सिखाने की तैयारी की जा चुकी है और अब इस ऑपरेशन को मूर्त रूप कभी भी दिया जा सकता है।

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