Breaking News

USA क्यों दे रहा है अपनी टेक्नोलॉजी जो चीन-पाकिस्तान के पास भी नहीं, भारत के लिए जेट इंजन डील क्यों महत्वपूर्ण है?

प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर हैं। ये दौरा द्विपक्षीय संबंधों के लिए बेहद जरूरी बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री यहां रक्षा और तकनीक क्षेत्र के समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। इस यात्रा से भारत को अमेरिका की महत्वपूर्ण तकनीक मिलने वाली है जिसे यूएस शायद ही किसी गैर सहयोगी देश के साथ साझा करता है। इससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं। जैसे कि जनरल इलेक्ट्रिक को घरेलू लड़ाकू विमान बनाने के लिए भारत में इंजन बनाने की मंजूरी। भारत का जनरल एटोमिक से 31 सशस्त्र एमक्यू 9 बी ड्रोन खरीदना, अमेरिका रक्षा और उच्च तकनीक के क्षेत्र में व्यापार पर कई तरह की पाबंदियां लगाता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत से ये प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। इस दौरे पर सेमीकंडक्टर, साइबर स्पेस, एयरोस्पेस, कम्युनिकेशन और औद्योगिक एवं रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर भी  बात होगी। 
जीई-414 इंजन
जीई एयरोस्पेस वेबसाइट के अनुसार, टर्बोफैन इंजन जनरल इलेक्ट्रिक के मिलिट्री एयरक्राफ्ट इंजन का हिस्सा है। 30 से अधिक वर्षों से अमेरिकी नौसेना द्वारा उपयोग किया जा रहा है। 1,600 से अधिक एफ414 इंजन वितरित किए गए हैं, जिससे विभिन्न प्रकार के मिशनों पर 5 मिलियन से अधिक की उड़ान पूरे कर चुके हैं। जनरल इलेक्ट्रिक के अनुसार, इंजन 22,000 पाउंड या 98 केएन के थ्रस्ट क्लास में हैं और इसमें फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (एफएडीईसी) जैसी उन्नत तकनीक है। लेटेस्ट एयरक्राफ्ट इग्निशन और इंजन कंट्रोल सिस्टम जो इंजन के प्रदर्शन को डिजिटल रूप से नियंत्रित करती है। जीई एयरोस्पेस वेबसाइट के अनुसार,  इंजन में जिस तरह का कूलिंग मैटेरियल और दूसरी चीजें इस्तेमाल की गई हैं, उससे इंजन की परफॉरमेंस और लाइफ भी कई गुना बढ़ जाती है।
एफ 414-संचालित जेट
जनरल इलेक्ट्रिक के अनुसार, आठ देशों के पास F414-संचालित विमान परिचालन में हैं या इसे लाने की तैयारी है। एफ414-जीई-400 इंजन अमेरिकी नौसेना के बोइंग F/A-18E/F सुपर हॉर्नेट और EA18G ग्रोलर इलेक्ट्रॉनिक हमले वाले विमान को शक्ति प्रदान करते हैं। ल-इंजन संस्करण है। निर्माता की वेबसाइट का कहना है कि F414 इंजन कोरियाई KF-X जैसे उभरते प्लेटफार्मों को भी शक्ति प्रदान कर सकते हैं। 
भविष्य की पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान 
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस mk2 के लिए F414-INS6 इंजन का चुनाव किया है। जीई-404 इंजन, जिसका मूल डिज़ाइन F414 में दोहराया गया है, 1970 के दशक में विकसित किया गया था। F414 इंजन प्रोटोटाइप और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के शुरुआती बैच को भी शक्ति प्रदान कर सकते हैं, जो भारत की वायु सेना के लिए भविष्य की पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। 

इसे भी पढ़ें: ग्रैड वेलकम, शाही डिनर से इतर वो कहानी जब अमेरिका ने पीएम मोदी को वीजा देने को कर दिया था मना, International Religious Freedom Act 1998 के तहत लगाई थी रोक

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ये डील
केवल कुछ मुट्ठी भर देशों जैसे अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस – ने लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करने वाले इंजन के निर्माण के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी और धातु विज्ञान में महारत हासिल की है। क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रयास के बावजूद, भारत इस सूची में नहीं है। DRDO के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) ने सबसे पहले LCA के लिए GTX-37 इंजन विकसित करने पर काम किया। इसके बाद, 1989 के अंत में महत्वाकांक्षी कावेरी इंजन परियोजना को मंजूरी दी गई। नौ पूर्ण प्रोटोटाइप इंजन और चार कोर इंजन विकसित किए गए हैं। इंजन के वेट थ्रस्ट में बड़ी कमी थी, जो लक्षित 81 केएन के मुकाबले केवल 70.4 केएन उत्पन्न करता था। साल 2011 में कैग (CAG) ने अपनी ऑडिट में भारी-भरकम खर्च के बावजूद हल्के लड़ाकू विमानों के लिए इंजन तैयार करने की विफलता के लिए GTRE पर तीखे सवाल भी उठाए थे। साल 2021 में सरकार ने संसद में बताया था कि कावेरी परियोजना के तहत जो इंजन तैयार किए गए हैं या जिन टेक्नोलॉजी पर काम किया गया, उनका इस्तेमाल ड्रोन में किया जा सकता है।

Loading

Back
Messenger