प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की सूक्ष्म नक्काशी वाला, चंदन की लकड़ी का एक विशेष हस्तनिर्मित, खूबसूरत बक्सा उपहार स्वरूप भेंट किया जो अनुभव के साथ साथ भारतीय परंपरा के मूल्यों और सम्मान को रेखांकित करता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने उपनिषदों के 10 सिद्धांत पर आधारित पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद के पहले संस्करण की एक प्रति भी राष्ट्रपति बाइडेन को भेंट की। इस पुस्तक के सह रचयिता बाइडेन के प्रिय कवि विलियम बटलर येट्स और पुरोहित स्वामी हैं। यह पुस्तक भारतीय आध्यात्मिकता और गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की प्रतिष्ठा पर साझी सराहना को दर्शाती है। यह पुस्तक 1937 में प्रकाशित हुई थी और येट्स के अंतिम कार्यों में से एक है। सरकार ने एक प्रेस बयान में कहा कि लंदन के मेसर्स फेबर एंड फेबर लिमिटेड द्वारा प्रकाशित और यूनिवर्सिटी प्रेस ग्लासगो में मुद्रित इस पुस्तक, द टेन प्रिंसिपल उपनिषद के पहले संस्करण की एक प्रति राष्ट्रपति बाइडेन को उपहार में दी गई है। भारतीय आध्यात्मिकता के प्रति येट्स की प्रशंसा बहुत गहरी थी और वह उपनिषदों और भारत की अन्य प्राचीन ज्ञान धाराओं से गहराई से प्रभावित थे। येट्स का भारत के प्रति गहरा आकर्षण था और वह भारतीय आध्यात्मिकता से बहुत प्रभावित थे।
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उपनिषद के पहले संस्करण की एक प्रति बाइडेन को की भेंट
येट्स की भारतीय आध्यात्मिकता में गहरी रुचि थी और वह उपनिषदों तथा भारत की अन्य प्राचीन कथाओं से काफी प्रभावित थे। येट्स ने 1937 में पुरोहित स्वामी के साथ मिलकर भारतीय उपनिषदों का एक अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया था। दोनों लेखकों के बीच अनुवाद और सहयोग का सिलसिला 1930 के दशक में जारी रहा और यह येट्स के अंतिम कार्यों में से एक था। लंदन की ‘मेसर्स फैबर एंड फैबर लिमिटेड’ द्वारा प्रकाशित और यूनिवर्सिटी प्रेस ग्लासगो में छपी पुस्तक द टेन प्रिंसिपल उपनिषद के पहले संस्करण की एक प्रति राष्ट्रपति बाइडन को भेंट की गई है। उपनिषद क्या हैं और वे महत्वपूर्ण क्यों हैं? डब्ल्यूबी येट्स का हिंदू धर्म से क्या संबंध है इस रिपोर्ट के माध्यम से आपको बताते हैं।
उपनिषद क्या हैं?
उपनिषद हिंदू धर्में के महत्वपूर्ण चार ग्रंथों में से एक है जो प्रत्येक वेद को एक साथ संकलित करते हैं। इस ग्रंथ में ब्रग्म यानी ईश्वरीय सत्ता के स्वभाव और आत्मा के बीच अंतसर्बंध की दार्शनकि तथा ज्ञान पूर्वक संपूर्ण व्याख्या की गई है। ऐसा कहा जाता है कि उपनिषद ही सभी भारतीय दर्शनों की जड़ है। फिर चाहे वो वेदांत, सांख्य, जैन या फिर बौद्ध ही क्यों न हों। प्राचीन हिंदू पवित्र पाठ सिखाता है कि कैसे “व्यक्तिगत आत्म (आत्मान)” आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा के माध्यम से परम वास्तविकता (ब्राह्मण) को पाता है। 5वीं शताब्दी के मध्य से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक, 13 प्रसिद्ध उपनिषदों की रचना की गई, जिनमें बृहदारण्यक, छांदोग्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, कौशीतकी, केना, कथा, ईसा, श्वेताश्वतर, मुंडका, प्रश्न, मांडूक्य और मैत्री शामिल हैं। इनके अलावा सैकड़ों अन्य उपनिषद भी हैं।
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उपनिषदों का महत्व
ब्रिटानिका लेख के अनुसार उपनिषद ब्रह्मांड में स्पष्ट विविधता के पीछे एक एकल, एकीकृत सिद्धांत के साथ एक परस्पर जुड़े ब्रह्मांड की दृष्टि प्रस्तुत करते हैं, जिसके किसी भी अभिव्यक्ति को ब्राह्मण कहा जाता है। लेख में कहा गया है कि उपनिषद कहते हैं कि यह ब्राह्मण मनुष्य के शाश्वत मूल आत्मा में निवास करता है।
पश्चिमी देशों तक कैसे हुआ उपनिषद का प्रसार
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और मुमताज महल के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह को दुनिया के धर्मों में गहरी रुचि थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1615 से 1659 तक रहे दारा ने भगवद गीता और 52 उपनिषदों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया था। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1775 में दारा का अनुवाद अवध के नवाब शुजा-उद-दौला के दरबार में एक फ्रांसीसी निवासी द्वारा खोजा गया था, जिसने एक लोकप्रिय फ्रांसीसी यात्री और अनुवादक एंक्वेटिल डुपेरॉन को इसकी प्रति भेजी थी। पुस्तक पड़कर जर्मन दार्शनिक आर्थर शोपेनहावर उपनिषदों से बहुत प्रभावित हुए। उनका मानना था कि उपनिषदों के प्रत्येक वाक्य से गहरे, मौलिक और उदात्त विचार उत्पन्न होते हैं। पूरी दुनिया में, उपनिषदों जितना लाभकारी और इतना उन्नत कोई अध्ययन नहीं है। इस हिंदू धार्मिक ग्रंथ को अमेरिका में लोकप्रिय बनाने का श्रेय प्रसिद्ध अमेरिकी कवियों राल्फ डब्ल्यू इमर्सन, वॉल्ट व्हिटमैन और हेनरी डेविड थोरो को दिया जाता है।
डब्ल्यूबी येट्स और हिंदू धर्म
आयरिश कवि और नाटककार येट्स की कई रचनाएँ हिंदू आध्यात्मिक ग्रंथों के विचारों को बढ़ावा देती हैं। बेली बेटिक ने ‘येट्स, डब्ल्यूबी, इंडिया, और रबींद्रनाथ टैगोर’ पेपर में लिखा कि यह उनके दोस्त और साथी कवि एई, जॉर्ज विलियम रसेल का छद्म नाम था, जिन्होंने येट्स को उपनिषदों से परिचित कराया था। येट्स मोहिनी मोहन चटर्जी की शिक्षाओं से भी काफी प्रेरित थे।