विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभी नेपाल के दौरे पर गए थे। वहां उनकी वार्ता हुई है। वहां सीमा कार्य समूह की बैठक पिछले कई समय से नहीं हुई है। क्या उसे फिर से सक्रिय करने को लेकर कोई बात हुई है? प्रभासाक्षी के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मनु महावर का नेपाल का दौरा हुआ है। इस दर्मियान उन्होंने वहां के आला अधिकारियों से बात की है। नेपाल और भारत के रिश्ते को किस प्रकार से प्रगाढ़ और मजबूत किया जाए इसको लेकर चर्चा हुई है। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा कार्य समूह की बैठक को लेकर जानकारी फिलहाल मेरे पास मौजूद नहीं है। लेकिन इतना कहना चाहूंगा कि दोनों देशों के रिश्तों को हम और मजबूत करना चाहते हैं। इसी के संदर्भ में अतिरिक्त सचिव का दौरा हुआ था। अभी अभी उन्होंने कार्यभार संभाला है। वो नेपाल गए थे ताकी आला अधिकारियों से बात करके इस रिश्ते को किस तरह से आगे ले जाना है इस पर बात हो सके।
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आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मनु महावर ने नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा से शिष्टाचार मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। दोनों अधिकारियों ने आपसी चिंता, साझा हित और भविष्य में सहयोग के क्षेत्रों से जुड़े मामलों पर चर्चा की। बयान के मुताबिक, देउबा ने कहा कि नेपाल भारत के साथ अपने रिश्तों को अत्यधिक महत्व देता है। उन्होंने दोनों देशों और उनके लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की। बयान के अनुसार, बैठक के दौरान देउबा और महावर सीमा कार्य समूह के बीच बैठकों के जरिये सीमा संबंधी मुद्दों को सुलझाने पर भी सहमत हुए। पिछले कुछ वर्षों में सीमा कार्य समूह की बैठक नहीं हुई है।
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बयान में कहा गया है कि देउबा ने भारतीय पक्ष को भैरहवा स्थित गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भारत के विभिन्न शहरों से जोड़ने वाले हवाई मार्गों से संबंधित नेपाल के अनुरोध के बारे में भी याद दिलाया।” इसमें कहा गया है कि दोनों अधिकारियों ने नेपाल और भारत के बीच व्यापार एवं ऊर्जा पर हाल ही में संपन्न अंतर-सरकारी समिति की बैठक के फलदायी होने का भी जिक्र किया। उन्होंने भविष्य में ऐसी द्विपक्षीय बैठकों के लगातार आयोजन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। बयान के मुताबिक, देउबा ने भारतीय पक्ष से अनुरोध किया कि वह टिंकर को महाकाली नदी के पूर्वी हिस्से से जोड़ने वाली सड़क के निर्माण के लिए भारतीय क्षेत्र में स्थित धारचूला के रास्ते आवश्यक उपकरणों के परिवहन की सुविधा प्रदान करे।