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अपने मकसद में कामयाब रहा चीन, जिनपिंग से मुलाकात के बात क्यों बदल गए इमैनुएल मैक्रों के तेवर?

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 5-7 अप्रैल तक चीन का दौरा किया। मैक्रों का बीजिंग में शानदार स्वागत किया गया। हालाँकि, मैक्रों ने चीन के प्रति अपने सम्मान के साथ खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के अन्य लोगों के साथ आसक्त नहीं किया है। अपने आगमन से पहले ही, मैक्रों ने कहा था कि वो चीन के साथ एक रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को फिर से शुरू करना चाहते हैं। वास्तव में बीजिंग इस तरह की कोशिशों पर पर खुशी से अपने हाथ मल रहा होता है। चीन के दरवाजे पर फ्रांस के राष्ट्रपति की दस्तक और फिर उनका रॉक स्टार सरीखा स्वागत चर्चा में रहा। 

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शी जिनपिंग के वर्तमान उद्देश्यों में यूरोपीय एकता को विभाजित करना और यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक खाई पैदा करना चाहते है। इसका असर भी देखने को मिला। चीन की यात्रा से लौटे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने तो यहां तक कह दिया कि यूरोप को अमेरिका पर निर्भर होने की आदत छोड़नी होगी।  मैक्रों ने कहा कि अब समय आ गया है जब यूरोप को अमेरिका पर निर्भर होने की आदत छोड़न होगी। वहीं कूटनीति के नए तरीकों के तहत भारत दुनिया की बड़ी ताकतों के साथ अपनी द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत कर रहा है। 

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मैक्रों की इस तरह की टिप्पणियों पर शी भी मुस्कुरा रहे होंगे। जब बैठकों के दौरान ताइवान का विषय सामने आया, तो शी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो कोई भी यह सोचता है कि वे इस मामले पर बीजिंग को प्रभावित कर सकते हैं, वह भ्रम में है। उन्होंने मीडिया से कहा कि यूरोपीय यूक्रेन में संकट को हल नहीं कर सकते हैं, हम ताइवान पर विश्वसनीय रूप से कैसे कह सकते हैं। ‘सावधान रहें, अगर आप कुछ गलत करते हैं तो हम वहां होंगे’?

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