प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नहीं आ रहे हैं। हमने जानना चाहा कि जिनपिंग अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का सामना नहीं करना चाहते या भारत से तनावपूर्ण संबंधों के चलते उन्होंने अपनी जगह चीनी प्रधानमंत्री को दिल्ली भेजने का फैसला किया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग ने वैसे तो जी-20 के सभी शिखर सम्मेलनों में भागीदारी की है चाह वह कार्यक्रम स्थल पर जाकर की हो या फिर ऑनलाइन चर्चा में शामिल होकर लेकिन इस बार उनका नहीं आना चौंकाता जरूर है क्योंकि यदि वह चाहते तो इस बैठक में ऑनलाइन भी शामिल हो सकते थे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और चीन के संबंधों में तनाव है और यह तनाव तब भी दिखा था जब ब्रिक्स सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात हुई थी। हालांकि उस संक्षिप्त मुलाकात से लगा था कि अब सब पटरी पर आ जायेगा लेकिन जिनपिंग के चीन लौटते ही ड्रैगन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाते हुए नया मानचित्र जारी कर संबंधों में तनाव बढ़ा दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हमको भी जिनपिंग का स्वागत करने में दिक्कत होती इसलिए अच्छा ही हुआ कि वह नहीं आये। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस समय भारतीय सेना और वायुसेना की ओर से उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में चीन और पाकिस्तान से सटे मोर्चों पर एक प्रमुख युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया गया है उसको लेकर भी चीन सकते में है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि चीन के राष्ट्रपति को बताया गया है कि कहीं ऐसा ना हो कि आप बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जायें और पीछे से भारत यहां घुस आये। इसीलिए चीन ने अपने राष्ट्रपति के नहीं आने का कारण घरेलू व्यस्तता बताया है। उन्होंने कहा कि वैसे भारत कभी भी पहले हमला नहीं करता है लेकिन यदि चीन के मन में ऐसा डर है तो यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि वैसे चीन जी-20 शिखर सम्मेलन में आये या नहीं आये इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि चीन ने अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में हुई जी-20 की बैठकों में भी हिस्सा नहीं लिया था इसके बावजूद यह दोनों बैठकें काफी सफल रही थीं।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा शी जिनपिंग को पता है कि भारत अमेरिका के संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं और भारत में जो बाइडन को ज्यादा महत्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग को लग रहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी बैठक में नहीं आ रहे हैं ऐसे में वह अकेले पड़ जायेंगे। इसके अलावा जिनपिंग इस समय रूस के साथ संबंध प्रगाढ़ कर रहे हैं ऐसे में यदि जी-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के पक्ष में कोई प्रस्ताव आता तो चीन के लिए मुश्किल हो जाती इसलिए भी वह आने से बचे हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका के राजकीय दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीनी राष्ट्रपति को तानाशाह करार दिया था इसलिए भी जिनपिंग नाराज हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर साफ कह चुके हैं कि सम्मेलन में प्रतिनिधित्व के स्तर के बजाय प्रमुख ज्वलंत मुद्दों पर देशों द्वारा अपनाई जाने वाली स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिरकार देशों का प्रतिनिधित्व उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसे उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुना है। प्रतिनिधित्व का स्तर किसी देश की स्थिति का अंतिम निर्धारक नहीं बनता है।