प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइली प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद ऐलान कर दिया है कि गाजा पट्टी को अमेरिका अपने अधीन लेगा, इसके क्या निहितार्थ हैं? साथ ही ट्रंप ने यूएनएचआरसी से अमेरिका को अलग कर दिया है जिससे अब फलस्तीनियों को राहत राशि नहीं मिल पाएगी, इससे वहां क्या असर पड़ेगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रत्याशित ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका गाजा पट्टी को अपने अधीन लेगा, इस पर अधिकार करेगा और वहां आर्थिक विकास करेगा जिससे लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार और आवास उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस में ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका उस जगह को विकसित करेगा लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी कि वहां किसे रहने की अनुमति दी जाएगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि ट्रंप के इस ऐलान का दुनियाभर में विरोध शुरू हो गया है और खुद अमेरिका में भी उनके इस बयान का विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका के सहयोगियों ने पहले ट्रंप के प्रस्ताव का बचाव किया लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही निंदा के कारण वे भी पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक न्यूयॉर्क में प्रॉपर्टी डेवलपर रहे ट्रंप को विश्व शक्तियों- रूस, चीन और जर्मनी से फटकार मिली, जिन्होंने कहा कि इससे “नई पीड़ा और नई नफरत” को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही सऊदी अरब ने भी इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि लेकिन इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के प्रस्ताव को उल्लेखनीय बताते हुए आग्रह किया है कि इस पर विचार किया जाए, हालांकि उन्होंने इस बारे में विशेष रूप से नहीं बताया कि ट्रंप क्या पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा से फिलस्तीनियों को हटाना जातीय सफाई के समान होगा और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध होगा।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ट्रंप की गाजा पट्टी को अमेरिकी नियंत्रण के तहत एक अंतरराष्ट्रीय समुद्र तट रिज़ॉर्ट में पुनर्विकसित करने के दृष्टिकोण ने एक साल पहले उनके दामाद जेरेड कुशनर द्वारा पेश किए गए विचार को पुनर्जीवित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं था जब ट्रंप ने रियल एस्टेट निवेश के अवसरों के संदर्भ में गाजा के बारे में बात की हो। पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने एक रेडियो साक्षात्कारकर्ता से कहा था कि अगर सही तरीके से पुनर्निर्माण किया जाए तो गाजा “मोनाको से बेहतर” हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुशनर ने कहा था कि गाजा की तटवर्ती संपत्ति, यह बहुत मूल्यवान हो सकती है, अगर लोग आजीविका के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि कुशनर ने एक बार पूरे अरब-इजरायल संघर्ष को “इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच एक अचल संपत्ति विवाद से ज्यादा कुछ नहीं” के रूप में भी वर्णित किया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से अमेरिका के अलग होने संबंधी एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए और फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए एजेंसी को भविष्य में सहायता राशि जारी करने पर भी रोक लगा दी है उसका भी बड़ा असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इजराइल और अमेरिका ने मानवाधिकार परिषद पर इजराइल को गलत तरीके से निशाना बनाने और बदनाम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजराइल ने 2019 में यूनेस्को से खुद को अलग कर लिया था और इजराइल ने एजेंसी की आलोचना करते हुए कहा था कि यह उसके देश की सीमाओं के भीतर यहूदी इतिहास को ‘‘खत्म’’ कर रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे एक बात तो है कि जो लोग आज ट्रंप के ऐलान का विरोध कर रहे हैं वह अमेरिकी सेना के गाजा पट्टी में उतरने पर कुछ नहीं कर पाएंगे और हमास का भी शीर्ष नेतृत्व खत्म हो चुका है और वह अमेरिकी सेनाओं से सीधी टक्कर लेने की स्थिति में नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि लेकिन यहां एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि अमेरिका फर्स्ट का नारा देकर सत्ता में आये ट्रंप क्यों दूसरे देशों में टांग अड़ा रहे हैं?