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Prabhasakshi Exclusive: Pakistan के Azm-e-Istehkam अभियान से आतंकवादियों के बीच हड़कंप क्यों मच गया है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान ने जो ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ अभियान शुरू किया है उसका मतलब क्या है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस अभियान का हिंदी नाम अगर देखें तो वह होता है- स्थिरता का संकल्प। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिस तरह से हर मोर्चे पर अस्थिरता का सामना कर रहा है उसको देखते हुए वहां स्थिरता लाये जाने की बहुत सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि वहां की सरकार आतंकवाद से निबटने को प्राथमिकता दे रही है लेकिन अभी यह देखना होगा कि कहीं एक बार फिर उनकी कथनी और करनी का फर्क तो सामने नहीं आ जाता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने हिंसा और आतंकवाद में वृद्धि को देखते हुए ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ नामक एक नए सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के आतंकवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा की, जिसके बाद यह पहल की गयी है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ का उद्देश्य खासतौर पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच बढ़ते तनाव के बीच घरेलू सुरक्षा खतरों और अफगानिस्तान से आने वाले सशस्त्र लड़ाकों का मुकाबला करना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ के कार्यालय ने “आतंकवादियों” के खिलाफ प्रयासों को “तेज” करने की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हालांकि वहां का विपक्ष यह कह रहा है कि सरकार ने उसे भरोसे में नहीं लिया है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सैन्य अभियान सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को एक मंच पर लायेगा और अभियोजन में बाधा डालने वाली खामियों को दूर करेगा और आतंकवादियों को कड़ा दंड देगा। उन्होंने कहा कि यह घोषणा पिछले 18 महीनों में हिंसक घटनाओं में जोरदार वृद्धि के बीच आई है। पाकिस्तान में ज्यादातर हमलों का दावा टीटीपी ने किया है। उन्होंने कहा कि टीटीपी ने नवंबर 2022 में युद्धविराम समाप्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने काबुल पर टीटीपी सदस्यों को शरण देने का आरोप लगाया है, हालांकि तालिबान सरकार इस आरोप से इंकार करती है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान का सैन्य अभियान अफ़ग़ानिस्तान तक फैलता है तो संभावित तनाव बढ़ सकता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मार्च में पाकिस्तान ने संदिग्ध पाकिस्तानी तालिबान ठिकानों के खिलाफ अफगानिस्तान में सीमा पार हमले भी किए थे जिसकी विदेश कार्यालय ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाकिस्तान का यह ऑपरेशन 62 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की सुरक्षा को लेकर चीन की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भी चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मार्च 2024 में पांच चीनी इंजीनियरों की मौत सहित कई हमलों के बाद चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण हो गई है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा पिछले साल, पाकिस्तान को लगभग डिफ़ॉल्ट का सामना करना पड़ा और महत्वपूर्ण घरेलू राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक विवादास्पद चुनाव हुआ। उन परिस्थितियों में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान संभव नहीं था इसलिए यह अब चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस समय आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है और वह तभी मिल सकेगी जब वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की काली सूची से बाहर आ पायेगा इसलिए भी पाकिस्तान इस तरह का अभियान शुरू करने जा रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि इस ऑपरेशन की संभावित सफलता को लेकर चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र समूह सार्वजनिक समर्थन बनाए रखते हुए सरकारी हितों को कमजोर करने के लिए सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। हिंसा प्रभावित प्रांतों में जनता के समर्थन की कमी इस ऑपरेशन की प्रभावशीलता में बाधा बन सकती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाकिस्तानी तालिबान का पाकिस्तान में कोई स्थायी ठिकाना नहीं है, वे अस्थायी रूप से काम करते हैं, बार-बार स्थान बदलते रहते हैं। अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान में सीमा पार अभियान चलाता है, तो इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 2001 के बाद से पाकिस्तान की सेना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में घरेलू आतंकवादियों के खिलाफ कई हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन चलाए हैं जैसे- ‘जर्ब-ए-अज्ब’, ‘राह-ए-निजात’ और ‘राह-ए-रस्त’। हालाँकि, ये प्रयास उग्रवादी समूहों को पूरी तरह से ख़त्म करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन के दबाव में पाकिस्तान सरकार ने अज्म-ए-इस्तेहकम को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की चिंताओं के बीच पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने हालांकि कहा है कि आतंकवादियों के खिलाफ नए सैन्य अभियान के मुद्दे पर संसद से परामर्श किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने मांग की थी कि किसी भी नए अभियान पर सर्वोच्च मंच पर चर्चा की जानी चाहिए।

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