प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि बांग्लादेश सीमा पर भारत की ओर से बाड़ लगाने का विरोध क्यों कर रहा है? यह कौन-सा क्षेत्र है जिस पर बांग्लादेश को बाड़ लगाने पर आपत्ति हो रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच दो बार स्थगित हो चुकी महानिदेशक (डीजी) स्तर की वार्ता अब 16 फरवरी से दिल्ली में होने की उम्मीद है, जिसमें बाड़ लगाने और बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी का मुद्दा चर्चा का प्रमुख एजेंडा रहेगा। उन्होंने कहा कि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश का एक प्रतिनिधिमंडल 16 से 19 फरवरी के बीच भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ इस द्विवार्षिक वार्ता में चर्चा करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह पहली शीर्ष स्तरीय चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता के मुद्दों पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले साल ये वार्ता दो बार स्थगित हो गई थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दोनों देशों के बीच कुल 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के लगभग 95.8 किलोमीटर को कवर करने वाले लगभग 92 चिह्नित हिस्सों पर सहमति के अनुसार ‘सिंगल रो’ की बाड़ के निर्माण को लेकर बांग्लादेश की आपत्तियों से संबंधित मुद्दों को इस बैठक के दौरान प्रमुखता से उठाए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने सप्ताहांत में ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बुलाकर बाड़ लगाने और सीमा पर हत्याओं के संबंध में बीएसएफ की गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। अगले दिन, भारत ने दिल्ली में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को स्पष्ट कर दिया कि बाड़ लगाने के दौरान सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसमें उम्मीद जताई गई थी कि बांग्लादेश द्वारा सभी पूर्व समझौतों को लागू किया जाएगा और सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीमा वार्ता के दौरान भारत की ओर से सीमा पर बांग्लादेशी नागरिकों के घुसपैठ के प्रयासों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर भी चर्चा किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष अगस्त से दिसंबर के बीच बीएसएफ के जवानों ने 1,956 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा था। उन्होंने कहा कि महानिदेशक स्तर की सीमा वार्ता 1975 और 1992 के बीच सालाना आयोजित की जाती थी, लेकिन 1993 में इसे द्विवार्षिक कर दिया गया, जिसमें दोनों पक्ष बारी-बारी से नयी दिल्ली और ढाका में वार्ता आयोजित करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछला संस्करण मार्च में ढाका में आयोजित किया गया था, जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश गया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाने के संबंध में दोनों देशों के बीच आपसी सहमति है। इस संबंध में बीएसएफ और बीजीबी (सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आपसी सहमति को लागू किया जायेगा और अपराध से निपटने के लिए सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए चार समझौता ज्ञापन (एमओयू) हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से 1975 के एमओयू में यह स्पष्ट किया गया है कि रक्षा क्षमता वाला कोई भी विकास कार्य जीरो लाइन के 150 गज के भीतर नहीं किया जा सकता। दूसरे एमओयू में कहा गया है कि आपसी सहमति के बिना इस सीमा के भीतर कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी कार्य के लिए दोनों देशों के बीच पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारत ने बांग्लादेश के साथ 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर पहले ही बाड़ लगा दी है और लगभग 885 किलोमीटर सीमा बिना बाड़ के रह गई है। उन्होंने कहा कि हाल में पांच क्षेत्रों में विवाद सामने आए हैं, जिनमें (उत्तर-पश्चिमी) चपैनवाबगंज, नौगांव, लालमोनिरहाट और तीन बीघा कॉरिडोर शामिल हैं।