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PM Modi America Visit: PM नरेंद्र मोदी की पिछली यात्राओं के मुकाबले क्यों है ये स्टेट विजिट खास?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाशिंगटन दौरे से कुछ दिन पहले उनके स्वागत का संदेश भेजने के लिए सैकड़ों भारतीय-अमेरिकी रविवार की रात (अमेरिकी स्थानीय समयानुसार) संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित स्थानों पर एकत्र हुए। वाशिंगटन डीसी क्षेत्र और उसके आसपास के कुछ सौ भारतीय-अमेरिकी एकता का संदेश देने के लिए राष्ट्रीय स्मारक के पास एकत्र हुए और प्रधानमंत्री को बताया कि वे शहर में उनके आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं और एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस 2023 मनाने के समारोह में शामिल होने के बाद 22 जून को कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।

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पीएम मोदी के लिए रेड कारपेट 
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दुनिया का सुपरपावर मुल्क अमेरिका 22 जून को लाल कालानी बिछाए नजर आएगा और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हिन्दुस्तान के प्रधान मोदी दुनिया के तीसरे ऐसे नेता बनने की उपलब्धि हासिल करेंगे जिन्हें मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से ये सम्मान प्राप्त होगा। इससे पहले बाइडेन की तरफ से फ्रांस के इमानुएल मैक्रों और दक्षिण कोरिया के यून सुक येओल को ही राजकीय यात्रा और भोज के लिए आमंत्रित किया गया। पीएम मोदी की पिछली अमेरिका यात्राओं को वर्किंग विजिट (2014), वर्किंग लंच (2016) और आधिकारिक वर्किंग विजिट (2017) बताया गया था। वर्ष 2019 की उनकी यात्रा को अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट में ऐसी यात्रा बताया गया कि जिसमें उन्होंने ह्यूस्टन, टेक्सास में एक रैली मे भाग लिया। 

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स्टेट विजिट क्या होते हैं?
राजकीय यात्राएं राज्य/सरकार के प्रमुख के नेतृत्व में विदेशी देशों की यात्राएं होती हैं, जो उनकी संप्रभु क्षमता में कार्य करती हैं। इसलिए उन्हें आधिकारिक तौर पर राजनेता का नाम की यात्रा के बजाय स्टेट विजिट के रूप में वर्णित किया जाता है। अमेरिका की राजकीय यात्राएँ केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर होती हैं, जो राज्य के प्रमुख के रूप में उनकी क्षमता में कार्य करते हैं। 
क्यों अहम है यात्रा
पीएम मोदी का यह दौरा ग्लोबल परिवेश में बेहद अहम माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों के बीच इसे निर्णायक माना जा रहा है। हालांकि, रूस और यूक्रेन युद्ध में भारत अब तक तटस्थ ही है, लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव है कि भारत रूस के खिलाफ सख्त स्टैंड लें।

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