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Prabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War शांत कराने में विफल रही Jeddah वार्ता, Delhi G-20 Summit में निकल सकता है हल!

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि जेद्दा में शांति वार्ता का कोई हल क्यों नहीं निकला? हमने उनसे यह भी पूछा कि रूस की ओर से हमलों में की गयी वृद्धि क्या दर्शाती है? साथ ही हमने उनसे जाना कि जब अमेरिका ने साफ कर दिया है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध चर्चा के शीर्ष विषयों में से एक होगा, यह देखते हुए क्या आपको लगता है कि इस सम्मेलन में व्लादिमीर पुतिन आएंगे?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जेद्दा में शांति वार्ता का कोई हल इसलिए नहीं निकला क्योंकि वहां पर एकतरफा बातचीत हो रही थी। जिसकी तरफ से युद्ध शुरू किया गया जब तक उससे बातचीत नहीं की जायेगी तो शांति कैसे स्थापित होगी। ऐसे तो यही लगेगा कि यह शांति वार्ता महज दिखावा थी। हालांकि इस वार्ता के आयोजकों की ओर से जल्द ही वार्ता का दूसरा दौर आयोजित करने की बात कही गयी है। जेद्दा बैठक के दौरान सभी देशों की ओर से जो बिंदु रखे गये उस पर रूस गौर कर रहा है। लेकिन रूस यह भी देख रहा है कि बैठक के दौरान यूक्रेन उन मुद्दों को लेकर अड़ा रहा जिस पर व्लादिमीर पुतिन कभी सहमत ही नहीं होंगे। जैसे यूक्रेन क्रीमिया को वापस चाहता है लेकिन रूस कभी ऐसा नहीं करेगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस की ओर से जिस तरह हमले तेज किये गये हैं उसका कारण यह भी है कि पुतिन यह समझ गये हैं कि यूक्रेन को अब यूरोपीय और पश्चिमी देशों का वैसा समर्थन नहीं मिल पा रहा है जो उसे चाहिए। कहने को सब कह रहे हैं कि हम यूक्रेन के साथ हैं लेकिन जिस तरह यूक्रेन बार-बार हथियारों और पैसों के लिए हाथ फैला रहा है उससे अब नाटो देश थक चुके हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक अमेरिका ने कहा है कि अगले महीने भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध चर्चा के शीर्ष विषयों में से एक होगा, तो उस पर मेरा मानना है कि अब तक जी-20 की जितनी बैठकें भारत में हुई हैं, उनमें कहीं ना कहीं यूक्रेन से जुड़ा विषय आया ही है, इसलिए शिखर सम्मेलन में भी यह मुद्दा उठेगा ही। उन्होंने कहा कि वैसे तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आना मुश्किल लग रहा है लेकिन उन्हें बैठक में भाग लेने के लिए भारत आना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि पुतिन दिल्ली में होने वाले आयोजन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे तो तमाम मसले हल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनका साथ देने के लिए चीनी राष्ट्रपति तथा कुछ और देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी यहां होंगे साथ ही भारत भी रूस का खास मित्र है इसलिए पुतिन को शांति से जुड़े मुद्दे पर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी की धरती है इसलिए हो सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध का संघर्षविराम या युद्ध समाप्ति का फैसला यहीं पर होना लिखा हो।

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