प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस मोड़ पर पहुँचा है? साथ ही हमने जानना चाहा कि रूसी राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के शासक के बीच जो समझौते हुए हैं वह दुनिया पर क्या असर डालने वाले हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध इस समय स्थिर नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक लग रहा था कि यूक्रेन बढ़त हासिल कर रहा है क्योंकि उसने क्रीमिया और मास्को तक ड्रोन हमले कर दिये थे लेकिन अब वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उन्होंने कहा कि रूस जिस तरह से आक्रामक हुआ है उससे यूक्रेन और उसके सहयोगियों के होश उड़ गये हैं। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो यूक्रेन यदि अब भी नहीं रुका तो उसका पूरी तरह बर्बाद होना तय है क्योंकि पश्चिमी और यूरोपीय देश भी अब इस युद्ध से आजिज आ चुके हैं। यूक्रेन के समर्थक देशों की जनता अपनी सरकारों से सवाल कर रही है कि इस युद्ध से हमें इतनी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं फिर भी क्यों हम इसमें आर्थिक और सैन्य मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रूस के असल दुश्मन अमेरिका को भले इस बात से फर्क नहीं पड़ रहा हो कि कितना खर्च हो रहा है लेकिन नाटो देश अब और ज्यादा खर्च करने के मूड़ में नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को झुकाने की अमेरिका पूरी कोशिश करेगा इसलिए यूक्रेन को युद्ध से नहीं हटने देगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन पुतिन भी झुकने को तैयार नहीं हैं। उनकी निगाह इस पर लगी है कि अगर यूक्रेन को कलस्टर बम या रासायनिक हथियार मिलते हैं तो फिर कैसे बड़ा पलटवार करना है। उन्होंने कहा कि पुतिन हर स्थिति के लिए अपनी सेना को तैयार कर चुके हैं और हाल ही में उन्होंने सैन्य अधिकारियों के पदों में फेरबदल भी किया है। साथ ही जिस तरह रोजाना हजारों की संख्या में रूसी नागरिक सेना में भर्ती होने के लिए आगे आ रहे हैं उससे पुतिन का हौसला बढ़ा है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन से पुतिन की मुलाकात काफी मायने रखती है। दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद भले सार्वजनिक रूप से किसी समझौते की घोषणा नहीं की हो लेकिन माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया अपने पास पड़े द्वितीय विश्व युद्ध के जमाने के हथियारों के अलावा हाल में बनाये गये हथियार भी रूस को देगा। बदले में रूस की ओर से उसे अन्न और तकनीक मिलेगी जिसकी उत्तर कोरिया को बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैसे भी इन दोनों देशों के रिश्ते ऐतिहासिक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच परिवहन संपर्क भी है तभी किम जोंग उन ट्रेन से रूस पहुँचे थे। उन्होंने कहा कि यह परिवहन संपर्क ही उत्तर कोरिया से रूस तक हथियारों की पहुँच को आसान बनायेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पश्चिमी देश और दक्षिण कोरिया भले उत्तर कोरिया को चेतावनी दे रहे हों कि वह रूस को हथियार नहीं दे लेकिन किम जोंग उन पर कभी भी किसी चेतावनी का असर नहीं पड़ा। किम जोंग उन से तो अमेरिकी राष्ट्रपति रहने के दौरान डोनाल्ड ट्रंप दो बार मुलाकात करने के बावजूद मुद्दों का हल नहीं निकाल पाये थे। उन्होंने कहा कि जब किम जोंग उन को लग रहा है कि युद्ध में फंसा रूस उन्हें परमाणु हथियार की भी तकनीक दे सकता है तो वह यह मौका कभी नहीं चूकना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन जानते हैं कि किम जोंग उन क्या चाहते हैं इसलिए उन्होंने इस मुलाकात का आयोजन रशियन स्पेसपोर्ट में किया ताकि वहां की तकनीक और चकाचौंध देखकर उत्तर कोरिया के शासक ललचा जायें और वह सब कुछ करने को राजी हो जायें जो रूस चाहता है। उन्होंने कहा कि हालांकि दो युद्ध उन्मादी लोगों के साथ आ जाने से दुनिया की चिंता जरूर बढ़ी है।