प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताज़ा हालात क्या हैं? साथ ही ग्रेन डील रद्द होने से क्या असर पड़ने वाला है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब नया मोड़ यह आ गया है कि वैगनर समूह की युद्ध में भूमिका को खत्म कर दिया गया है। वैगनर समूह को अब अपने अफ्रीका मिशन पर ही ध्यान देने को कहा गया है। ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हाल ही में पुतिन ने वैगनर समूह के मुखिया से मास्को में मुलाकात की थी जिसमें उन्हें साफ निर्देश दे दिया गया था कि उन्हें अब इस युद्ध से बाहर रहना है। हालांकि उनके कई सैनिकों को बेलारूस में रखा गया है। माना जा रहा है कि पुतिन जल्द ही इस समूह के नये मुखिया के नाम का ऐलान करेंगे जो रूस की ओर से यूक्रेन में मोर्चा संभालेगा। प्रगोझिन को अफ्रीका में ध्यान देने को कहा गया है क्योंकि वहां वैगनर समूह के कई व्यवसायिक हित हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा रूस ने जिस तरह काला सागर अनाज सौदे को बाधित किया है उससे विश्वभर में खासतौर पर गरीब देशों में चिंता की लहर दौड़ गयी है। देखा जाये तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस करार को इसलिए मंजूरी दी थी कि गरीब देशों को अनाज मिलता रहे लेकिन यह करार होने के बाद से 46 प्रतिशत अनाज सर्वाधिक अमीर देशों को गया जबकि 27 प्रतिशत अनाज मध्यम अमीर वर्ग वाले देशों को गया और 26 प्रतिशत अनाज ही गरीब देशों को मिला। इसलिए पुतिन कह रहे हैं कि करार की शर्तों को तोड़ा गया है। रूस ने घोषणा की है कि वह युद्ध के दौरान यूक्रेनी बंदरगाह से खाद्यान्न एवं उर्वरकों के निर्यात की अनुमति देने संबंधी समझौते का क्रियान्वयन रोक रहा है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस की इस घोषणा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुख जताते हुए कहा है कि इस पहल ने यूक्रेनी बंदरगाहों से तीन करोड़ 20 लाख टन से अधिक खाद्य वस्तुओं की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की थी। गुतारेस ने कहा है कि काला सागर पहल और रूसी खाद्य उत्पादों एवं उर्वरकों के निर्यात को संभव बनाने संबंधी समझौता ज्ञापन वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक ‘‘जीवनरेखा’’ और परेशान दुनिया के लिए आशा की किरण रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक इस मुद्दे पर भारत का पक्ष है तो संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने ‘यूक्रेन के अस्थायी कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थिति’ पर महासभा की वार्षिक बहस में कहा है कि भारत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम को लेकर चिंतित है, जो शांति एवं स्थिरता के बड़े मकसद को हासिल करने में मददगार साबित नहीं हुआ है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत यूक्रेन में हालात को लेकर चिंतित है। इस संघर्ष के कारण कई लोगों की जान गई है और कई लोगों, विशेषकार महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को कष्ट झेलने पड़ रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और वे पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यह युद्ध चल रहा है लेकिन थमा भी हुआ है क्योंकि यूक्रेन एक वार करता है तो जवाब में रूस कई वार करता है लेकिन फिलहाल रूस भी तभी वार कर रहा है जब यूक्रेन वार करे।