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Prabhasakshi NewsRoom: China पहुँचे Putin, क्या Ukraine War या World Politics में होने वाला है कोई बड़ा बदलाव?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने के लिए बीजिंग पहुंचे तो उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया गया। बीजिंग हवाई अड्डे पर चीनी वाणिज्य मंत्री वांग वेन्ताओ ने पुतिन के स्वागत में एक तरह से पलक-पांवड़े ही बिछा दिये। हम आपको बता दें कि पुतिन की चीन यात्रा का उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना है कि यूक्रेन में युद्ध जारी रहने के बावजूद दोनों देशों के बीच विश्वास पहले से मजबूत हुआ है और रूस तथा चीन के बीच साझेदारी असीमित है। रूसी मीडिया ने बताया है कि पुतिन को शी द्वारा आयोजित सम्मेलन के आधिकारिक उद्घाटन समारोह में भाग लेना है और वियतनाम, थाईलैंड, मंगोलिया और लाओस के नेताओं के साथ बात करनी है। मंच के मुख्य अतिथि के रूप में पुतिन शी जिनपिंग के बाद संबोधन भी देंगे। पुतिन द्विपक्षीय वार्ता के लिए चीनी राष्ट्रपति से भी मिलेंगे। हालांकि पुतिन की चीन यात्रा के और उद्देश्य भी बताये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुतिन और जिनपिंग की वार्ता के बाद यूक्रेन युद्ध में एक नया मोड़ आ सकता है। यह भी बताया जा रहा है कि पुतिन और जिनपिंग आपसी बातचीत में पश्चिमी देशों की दादागिरी को समाप्त करने की योजना भी बना सकते हैं।
जिस तरह यूक्रेन युद्ध के जारी रहने के बीच ही पुतिन चीन पहुँचे हैं, उस पर सबसे ज्यादा हंगामा भी पश्चिमी देशों ने ही मचाया है इसलिए यह संभावना बलवती होती दिख रही है कि पुतिन और जिनपिंग पश्चिमी देशों के रुख के बारे में जरूर बातचीत करेंगे क्योंकि इस समय पश्चिमी देशों से चीन और रूस, दोनों के ही संबंध खराब चल रहे हैं। इस बीच, पश्चिमी देशों की ओर से पुतिन की चीन यात्रा की आलोचना को खारिज करते हुए बीजिंग ने कहा है कि रूस-चीन के संबंध अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन नहीं करते हैं और चीन को सहयोग के लिए किसी भी देश को चुनने का अधिकार है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि पुतिन ने इससे पहले फरवरी 2022 में बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों के दौरान चीन का दौरा किया था। जहां तक बेल्ट एंड रोड फोरम की बात है तो इसमें पुतिन की यह तीसरी मौजूदगी होगी। उन्होंने इससे पहले 2017 और 2019 में भी इसकी बैठक में भाग लिया था।

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क्या जेल से डरते हैं पुतिन?
हम आपको यह भी बता दें कि हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा मार्च में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के बाद से यह उनकी दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में पुतिन ने पूर्व सोवियत गणराज्य रहे किर्गिस्तान की यात्रा की थी। हम आपको यह भी बता दें कि पुतिन ने किर्गिस्तान और चीन की यात्रा इसलिए की क्योंकि यह दोनों देश युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के सदस्य नहीं हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पुतिन के खिलाफ जब वारंट जारी हुआ था, उसके बाद ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मास्को गये थे और अपने “प्रिय मित्र” पुतिन को बीजिंग में होने वाले तीसरे बेल्ट एंड रोड फोरम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था।
शी जिनपिंग की चाहत
हम आपको बता दें कि बेल्ट एंड रोड फोरम चीनी नेता शी जिनपिंग द्वारा समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंच है। ‘बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के 10 वर्ष होने के अवसर पर यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया है। इससे पहले चीन ने 2017 और 2019 में भी बीआरआई को लेकर दो सम्मेलन किए थे। दरअसल, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग चाहते हैं कि इस परियोजना के माध्यम से एशिया को थल और समुद्री मार्गों के जरिये अफ्रीका और यूरोप से जोड़कर वैश्विक बुनियादी ढांचे और ऊर्जा नेटवर्क का निर्माण किया जाये। पुतिन ने जिनपिंग की इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा है कि यह फोरम अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक मंच है, जहां “कोई भी किसी पर कुछ नहीं थोपता।” देखा जाये तो यूक्रेनी संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूस ने चीन के साथ अपने ऊर्जा संबंधों को मजबूत किया है। रूस प्रतिदिन लगभग 2.0 मिलियन बैरल तेल चीन को निर्यात करता है, जो उसके कुल कच्चे तेल निर्यात का एक तिहाई से अधिक है। इसके अलावा, मॉस्को का लक्ष्य चीन तक दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने का भी है।
भारत का रुख
जहां तक इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी की बात है तो आपको बता दें कि वह ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ सम्मेलन में लगातार तीसरी बार शामिल नहीं हो रहा है। हम आपको बता दें कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। भारत बीआरआई का विरोध करने के अपने रुख पर कायम है खासतौर पर 60 अरब डॉलर के ‘सीपीईसी’, की जो भारत की संप्रभुता चिंताओं को दरकिनार कर पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) से गुजर रही है। भारत बीआरआई का मुखर आलोचक रहा है और उसका स्पष्ट रूप से कहना है कि परियोजना सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय नियमों, सुशासन और कानून के राज के तहत संचालित होनी चाहिए और इसे लागू करने के दौरान खुलापन, पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता के सिद्धांत का अनुपालन किया जाना चाहिए।
सम्मेलन में कौन-कौन आ रहा है?
दूसरी ओर, चीन में हो रहे इस सम्मेलन के बारे में चीन के उप विदेश मंत्री मा जाओशू ने बताया, ‘‘चीन में इस साल यह सबसे अहम राजनयिक कार्यक्रम है और बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के 10वीं वर्ष पर सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘अब तक करीब 140 देशों और 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सम्मेलन में शामिल होने की पुष्टि कर दी है जिनमें राज्याध्यक्ष, संगठनों के प्रमुख, मंत्री तथा कारोबारी क्षेत्र, शैक्षणिक और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।’’ उप विदेश मंत्री ने बताया कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 4000 से अधिक प्रतिनिधियों ने अपना पंजीकरण करवाया है। हम आपको यह भी बता दें कि चीन द्वारा दो दिवसीय ‘बेल्ट एंड रोड फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन’ का आयोजन आर्थिक रूप से अव्यावहारिक मानी जा रही परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का ऋण श्रीलंका जैसे छोटे देशों को देने और उन्हें कर्ज के जाल में फंसाने को लेकर हो रही आलोचना के बीच होने जा रहा है।

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