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Prabhasakshi Exclusive: Aleksei Navalny से Putin को क्यों लगता था डर? क्या अब रूसी राष्ट्रपति के निशाने पर हैं नवलनी की पत्नी Yulia Navalnaya ?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने प्रमुख विरोधी की मौत के बाद दुनियाभर के निशाने पर हैं। अब यह भी कहा जा रहा है कि नवलनी की पत्नी पर भी वह कार्रवाई कर सकते हैं क्योंकि वह रूस में लोकतंत्र के लिए आवाज उठा रही हैं? इसे कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया उनके लिए क्या कह रही है या क्या सोचती है। उन्होंने कहा कि पुतिन को बस इस बात की चिंता रहती है कि देश पर उनकी सत्ता कायम रहे क्योंकि जब तक सत्ता उनके पास रहेगी तब तक दुनिया में कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्होंने कहा कि लेकिन जहां तक लोकतंत्र के प्रति पुतिन की सोच की बात है तो यह दुनियाभर में जगजाहिर हो चुकी है। रूस में चुनाव होते हैं लेकिन उसमें कोई सशक्त विपक्ष ही नहीं होता जोकि दर्शाता है कि वहां कैसे शासन चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के घोर आलोचक अलेक्सी नवलनी की जिन परिस्थितियों में मौत हुई वह मानवता के लिहाज से भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नवलनी की मौत हो गयी लेकिन उनका शव अब तक उनके परिजनों को नहीं सौंपा गया है जिसको लेकर उनके परिवार ने गहरी नाराजगी जताई है लेकिन रूस के सत्ताधारियों को देखें तो ऐसा लगता है कि किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि उनकी पत्नी यूलिया नवलनाया के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह यूलिया अपने पति की लोकतंत्र के समर्थन में लड़ाई को आगे ले जाने की बात कर रही हैं उससे आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि यूलिया को सिर्फ रूस में ही नहीं बल्कि विदेशों से भी समर्थन मिल रहा है लेकिन एक बात साफ दिखती है कि जब तक पुतिन की सत्ता पर पकड़ मजबूत है तब तक उनका चुनावी राजनीति में आ पाना मुश्किल होगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए लगातार कांटा बने नवलनी की 16 फरवरी 2024 को जेल में जिन परिस्थितियों में मृत्यु हुई शायद ही उसका पूरा सच कभी सामने आ पाये। उन्होंने कहा कि नवनली एक दशक से अधिक समय तक पुतिनवाद विरोध का सबसे सशक्त चेहरा थे और उन्होंने सड़कों पर रूसी अधिनायकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि नवलनी नाम का व्यक्ति मर चुका है, लेकिन जिस आंदोलन को उसने जगाया वह अभी भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि नवलनी 2011 में एक राजनीतिक ताकत के रूप में उभरे थे जब उन्होंने पुतिन की यूनाइटेड रशिया को “बदमाशों और चोरों की पार्टी” करार देकर 2012 के संसदीय चुनाव से पहले एक बड़े राष्ट्रीय विरोध आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने नारे को दर्शाने के लिए मीम बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित कीं और उन मतदाताओं को एकजुट किया जो पुतिन की पार्टी का समर्थन नहीं करते थे लेकिन पुतिन ने वह चुनाव जीत लिया था। लेकिन फिर भी नवलनी के प्रयासों का मतलब था कि एक नया विपक्ष मौजूद था और चुनावी धोखाधड़ी से लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए तैयार था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि साल 2013 में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तारी और दोषी ठहराए जाने के बावजूद नवलनी ने उस वर्ष मॉस्को के मेयर पद का चुनाव लड़ा। उस समय नवलनी ने लगभग 30% वोट हासिल किए जोकि उम्मीद से दोगुना थे। उन्होंने कहा कि नवलनी की एक खास बात यह थी कि वह रूसी राजनीति से अलग-थलग पड़े रूसियों को एक साथ लाए और उन्हें सशक्त बनाया। उन्होंने स्थानीय संगठन बनाए, जिन्होंने समर्थन हासिल किया और क्रेमलिन द्वारा उनके रास्ते में रखी गई अंतहीन बाधाओं के बावजूद साइबेरियाई शहरों टॉम्स्क और नोवोसिबिर्स्क में कुछ सफलता पाई।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पुतिन को यह बर्दाश्त नहीं था कि नवलनी मतदाताओं को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवलनी ने 2018 में एक प्रणाली विकसित की थी जिसे स्मार्ट वोटिंग कहा जाता है। एक ऑनलाइन टूल के माध्यम से नवलनी की टीम रूसियों को चुनाव में किसी भी सुधारवादी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करती थी और विशेष रूप से मतदाताओं को पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी को हराने वाले उम्मीदवार को वोट देने के लिए कहती थी। उन्होंने कहा कि विभिन्न शोधों ने दर्शाया है कि इस उपकरण का मतदाताओं पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और चुनावों में मतदान, विपक्षी वोटों और इससे जुड़े अन्य पहलुओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नवलनी के प्रयासों ने रूसी शासन को परेशान कर दिया और हो सकता है कि 2020 में रूस की घरेलू सुरक्षा एजेंसी, जिसे एफएसबी के नाम से जाना जाता है, ने उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का षड़यंत्र रचा हो। उन्होंने कहा कि रिपोर्टों के मुताबिक नवलनी नोविचोक के जहर से केवल इसलिए बच गए थे क्योंकि अंतरराष्ट्रीय दबाव ने शासन को उन्हें इलाज के लिए जर्मनी ले जाने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने कहा कि अपने ठीक होने के दौरान, नवलनी ने अपनी राजनीतिक सक्रियता को आगे बढ़ाने और शासन की बढ़ती क्रूरता को व्यक्त करने के लिए अपने ऊपर हुए हमले का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस पूरे अभियान का पर्दाफाश करने के लिए अपने हमलावर का साक्षात्कार लिया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि फरवरी 2021 में गिरफ्तारी की धमकी के बीच नवलनी की रूस वापसी के बाद सोवियत संघ के पतन के बाद से विपक्षी नेता के समर्थन में सबसे बड़ा सड़क विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों ने कार्यकर्ताओं की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया। उन्होंने सड़कों पर और उसके बाद के वर्षों में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की क्रूरता के नए स्तर को भी चिह्नित किया। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने फरवरी के अंत और मार्च 2022 की शुरुआत में युद्ध-विरोधी विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। नवलनी की वापसी से उत्साहित लोगों के अंदर नागरिक जागरूकता उभरने लगी। लोगों ने रैलियों में जाना शुरू कर दिया और राजनीति के बारे में बहुत अधिक रुचि लेने लगे जोकि शायद पुतिन को पसंद नहीं आया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपनी मृत्यु से पहले नवलनी ने अपने समर्थक कार्यकर्ताओं से कहा था- “सुनो, मुझे आपसे कुछ स्पष्ट बात कहनी है। आपको हार मानने की अनुमति नहीं है। अगर वे मुझे मारने का फैसला करते हैं, तो इसका मतलब है कि हम अविश्वसनीय रूप से मजबूत हैं।” उन्होंने कहा कि यह विचार रूसियों के मन-मस्तिष्क में कौंधते रहेंगे भले इसका आज असर नहीं दिखे लेकिन आने वाले समय में इसका असर जरूर दिखेगा। उन्होंने कहा कि नवलनी की मौत यह भी दर्शाती है कि एलेक्सी नवलनी ने एक लोकतांत्रिक रूस का जो सपना देखा था उसने पुतिन को भीतर तक डरा दिया था। उन्होंने कहा कि एलेक्सी नवलनी रूसी राजनीति में एक बड़ी शख्सियत थे क्योंकि किसी अन्य व्यक्ति ने पुतिन शासन के लिए उनकी तरह का खतरा कभी पैदा नहीं किया।

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