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Pakistan को मिटा देंगे…भारत अकेला नहीं, अमेरिका के नए विदेश मंत्री का आक्रमक अंदाज

अमेरिका से आई खबर पाकिस्तान की बर्बादी का सबूत सरीखा है। शपथ लेते नजर आए शख्स अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रूबियो हैं। शपथ लेते ही मार्को रूबियो ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। मार्को रूबियो शपथ लेते ही सबसे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करने पहुंच गए। ये अमेरिकी विदेश मंत्री की पहली आधिकारिक मुलाकात थी, जो उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री से की है। अमेरिकी विदेश मंत्री को एस जयशंकर से मिलता देख पाकिस्तानियों ने मार्को रूबियो के बारे में सर्च करना शुरू कर दिया। लेकिन इस सर्च के जो रिजल्ट आए उसने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए। मार्को रूबियो का इतिहास ये है कि वो कट्टर भारत समर्थक हैं और पाकिस्तान के धुर विरोधी। पिछले साल ही जुलाई में मार्को रूबियो ने भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी संसद में बिल पेश किया था। 

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इन्हीं मार्को रूबियो ने अमेरिकी संसद में खड़े होकर पाकिस्तान को बर्बाद करने की कसम खाई थी। रूबियो ने कहा था कि अमेरिका को पाकिस्तान की सारी मदद रोक देनी चाहिए। पाकिस्तान को सजा देने के लिए मार्को रूबियो अमेरिकी संसद में एक बिल भी ला चुके हैं। मार्को रूबियो का कहना है कि पाकिस्तान में बैठे कट्टर इस्लामिक लोग अमेरिका से नफरत करते हैं। मार्को रूबियो का मानना है कि ये अमेरिका की कमी है कि वो आतंक फैला रहे पाकिस्तान की गलतियों को नजरअंदाज कर रहा है। मार्को रूबियो ने कहा था कि पाकिस्तान में इसाईयों, हिंदुओं, अहमदियाओं और शिया मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं। हमें ये बात समझनी होगी कि या तो कट्टरपंथी जितेंगे या हम। पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाने वाले मार्को रूबियो ने कहा था कि हमें भारत को उतनी ही शक्ति और सम्मान देना होगा। हमें भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी करनी चाहिए। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने के सबूत मिलते हैं तो अमेरिका उसे सुरक्षा सहायता देने पर प्रतिबंध लगा देगा।

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उन्होंने ये भी कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अकेला नहीं है। अमेरिका अपने साझेदारों की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए उनका समर्थन करेगा। रूबियो ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर भारत रूस से हथियार खरीदता है तो उसे ऐसा करने देना चाहिए। हमें भारत को प्रतिबंधों की धमकी नहीं देनी चाहिए। अब यही मार्को रूबियो शपथ लेने के बाद सबसे पहले भारत से मिले।  

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