ब्रिटेन में आम चुनावों के लिए गुरुवार को वोटिंग होने वाली है। इस चुनावों में 14 साल बाद विपक्षी लेबर पार्टी के सत्ता में वापसी की संभावनाएं जताई जा रही है। साथ ही पीएम ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी की करारी हार की संभावना है। 2019 में लेबर पार्टी को 202 सीटें ही मिलीं, तब लेबर पार्टी का नेतृत्व जेरेमी कोर्बिन के पास था। 2019 में लेबर पार्टी में पद संभालने के बाद स्टारमर ने कामकाजी परिवारों पर टेक्स नहीं बढ़ाने और प्रवासियों को डिपोर्ट करने की बजाय सीमा सुरक्षित करने का वादा किया। लेबर पार्टी में से यहूदी विरोधी भावना को खत्म किया। स्टारमर लंदन के बाहर सरे में वामपंथी मजदूर परिवार में पले बढ़े, उनके पिता टूलमेकर थे। उन्होंने लीड्स और ऑक्सफोर्ड से कानून की पढ़ाई की। युवा वकील के रूप में स्टारमर ने मैकडॉनल्ड्स द्वारा मानहानि के आरोपी प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व किया। फिर ब्रिटेन के मुख्य अभियोजक बने और उन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया।
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रिजल्ट कब ?
4 जुलाई को सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया है । परिणाम रात 12 बजे से आने शुरू होंगे और 5 जुलाई सुबह 5 बजे तक स्थिति साफ होगी। भारतीय समयानुसार गुरुवार दोपहर 12.30 बजे से शुक्रवार तड़के 3.30 बजे तक वोटिंग होगी। आवश्यक होने पर समय बढ़ाया जा सकता है। रिजल्ट शुक्रवार सुबह 5.30 बजे से आने शुरू होंगे, 10.30 बजे तक स्थिति साफ होगी।
प्रमुख भारतीय मूल के उम्मीदवार कौन-कौन?
चुनावों में जिन प्रमुख ब्रिटिश भारतीय उम्मीदवारों पर नजर रहेगी उनमें प्रफुल्ल नरगुंड शामिल हैं, जो इस्लिंगटन नॉर्थ में लेबर पार्टी के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। ये पार्टी के निलंबित पूर्व नेता जेरेमी कॉर्बिन की सीट है और वो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। अन्य लेबर उम्मीदवारों में इफोर्ड साउथ से जस अठवाल, डर्बी साउथ से बैगी शंकर, साउथैम्पटन टेस्ट से सतवीर कौर और हडर्सफील्ड से हरप्रीत उप्पल शामिल हैं। इंदौर में जन्मे लंदन फॉर बिजनेस के पूर्व डिप्टी मेयर राजेश अग्रवाल लीसेस्टर ईस्ट से पहली बार सांसद बनने के लिए लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी से भारतीय मूल की एक अन्य उम्मीदवार शिवानी राजा से है। गोवा मूल के सांसद कीथ वाज़ भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दौड़ में हैं। कंजर्वेटिवों ने हेंडन में अमीत जोगिया, स्टोक-ऑन-ट्रेंट सेंट्रल में चंद्रा कन्नेगांती और हैरो वेस्ट से केन्याई-गुजराती मुस्लिम पार्षद अब्बास मेराली को भी मैदान में उतारा है। वॉल्वरहैम्प्टन पश्चिम में वारिंदर जूस, स्मेथविक में गुरिंदर सिंह जोसन और वेले ऑफ ग्लैमरगन में बिहार में जन्मे कनिष्क नारायण लेबर पार्टी की तरफ से मैदान में हैं। एक कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कथित तौर पर रिचमंड और नॉर्थहेलर्टन में अपनी सीट गवां सकते हैं। उनके पूर्व सहयोगियों प्रीति पटेल और सुएला ब्रेवरमैन को क्रमशः विथम और फ़ारेहम और वाटरलूविल में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। लेबर पार्टी ने स्टॉकपोर्ट में नवेंदु मिश्रा को भी नामांकित किया है, जबकि प्राथमिक देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यूके छाया मंत्री के रूप में कार्य करने वाली पहली ब्रिटिश सिख महिला सांसद प्रीत कौर गिल 2019 में बर्मिंघम एजबेस्टन से फिर से चुनी गईं। अन्य लेबर सांसदों में लिसा नंदी शामिल हैं विगन में सीमा मल्होत्रा फेल्थम में और हेस्टन और वॉल्सॉल साउथ में वैलेरी वाज़ हैं।
क्या होगी भारतीयों की भूमिका?
ब्रिटेन में 650 में से करीब 50 सीटों पर भारतीय वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। इन 50 सीटों में से लेस्टर, बर्मिंघम, कॉन्वेंट्री, साउथ हॉल और हैरॉस जैसी 15 सीटें में तो भारतीय मूल के उम्मीदवार ही पिछले दो चुनाव से जीत रहे हैं। इन सीटों पर इस बार सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को लेकर भारतीय वोटरों में गुस्सा है, तो वहीं विपक्षी लेबर पार्टी के उम्मीदवारों को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। 2019 में हुए पिछले आम चुनाव में भारतीय मूल के 15 सांसद चुने गए थे, जिनमें से कई दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके अलावा भारतीय मूल के कई लोग पहली बार आम चुनाव लड़ रहे हैं।
भारतीय समुदाय के साथ लेबर का ख़राब रिश्ता
भारतीय समुदाय ब्रिटेन में सबसे बड़े समुदायों में से एक है। हालाँकि, अतीत में लेबर पार्टी के साथ उनके रिश्ते इतने सहज नहीं रहे हैं। पूर्व लेबर नेता जेरेमी कॉर्बिन के कार्यकाल के दौरान, कथित भारत विरोधी भावनाओं और कश्मीर से जुड़े विवादों के कारण पार्टी को भारतीय समुदाय से समर्थन में गिरावट का अनुभव हुआ। इस फैक्टर ने भारतीयों को कंजरवेटिव के करीब ला दिया। जिससे भारतीय मूल के ऋषि सुनक के प्रधान मंत्री के रूप में चुनाव में मदद मिली। स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने भारतीय मूल की आबादी के बढ़ते राजनीतिक दबदबे को पहचाना है और ‘भारत विरोधी भावनाओं’ पर लगाम लगाने की कोशिश की है। इसने ब्रिटिश भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण समझी जाने वाली अपनी विदेश नीति के दृष्टिकोण पर भी ध्यान केंद्रित किया है। लेबर पार्टी इस बात को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि टोरीज़ द्वारा दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने के बाद वे भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए कैसे तैयार हैं।
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नेता जा रहे हिंदू मंदिर
यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी में 10 लाख हिंदू हैं, जिनको अपनी तरफ खींचने के लिए वहां के नेता धर्म का कार्ड खेल रहे हैं। ब्रिटिश आम चुनाव से पहले पहली बार ब्रिटिश हिंदू संगठनों के एक समूह द्वारा एक ‘हिंदू घोषणापत्र’ लॉन्च किया गया था, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों से हिंदू पूजा स्थलों की रक्षा और हिंदू विरोधी नफरत से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया गया था। 2021 की जनगणना के अनुसार, ब्रिटेन में रहने वाले लगभग 1 मिलियन लोग हिंदू के रूप में पहचान करते हैं, जिससे 4 जुलाई के आम चुनाव में यह मतदाता एक बड़ा हिस्सा बन जाएगा। चुनाव प्रचार के अंतिम सप्ताहांत में सुनक ने समुदाय को गौरवान्वित करने का प्रयास जारी रखने का वादा करने के लिए नेसडेन में बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर का दौरा किया, जबकि स्टार्मर ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए किंग्सबरी में स्वामीनारायण मंदिर को चुना।