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चिनफिंग, पुतिन अन्य नेताओं ने ब्रिक्स के विस्तार को लेकर चर्चा की

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने बुधवार को ब्रिक्स समूह के संभावित विस्तार पर बंद कमरे में चर्चा की।
जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स के तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन बुधवार देर रात नए सदस्यों को स्वीकार करने पर निर्णय होने की उम्मीद है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि इसमें शायद देरी होगी और इसकी घोषणा बृहस्पतिवार को की जा सकती है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने सैंडटन वित्तीय जिले में एक सम्मेलन केंद्र में मुलाकात की।
यूक्रेन में युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है जिसके चलते वह ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन के लिए जोहानिसबर्ग नहीं आए हैं।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सम्मेलन में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका के रामफोसा ने कहा कि सभी पांच नेताओं ने इस समूह के विस्तार के सिद्धांत का समर्थन किया। रामफोसा ने कहा, ‘‘हम ब्रिक्स परिवार के विस्तार के अहम पड़ाव पर खड़े हैं, क्योंकि यह विस्तार ही है जिसके माध्यम से हम इस अशांत समय में ब्रिक्स को अधिक मजबूत बनाने में सक्षम होंगे।’’
ब्रिक्स में शामिल होने के लिए 20 से अधिक देशों ने आवेदन किया है। इस समूह का गठन 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने किया था और 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इसमें शामिल किया गया था।
सऊदी अरब ब्रिक्स की सदस्यता चाहने वाले देशों में से एक है, जिससे उसके चीन और रूस के थोड़ा करीब जाने की संभावना बढ़ गई है। अधिकारियों के अनुसार, आवेदन करने वाले अन्य देशों में अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।

भले ही ब्रिक्स नेता विस्तार पर आम सहमति पर पहुंच जाएं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस सप्ताह की बैठक में किसी नए सदस्य की घोषणा की जाएगी या नहीं। पांचों सदस्यों को पहले उन मानदंडों को तय करना होगा जिन्हें नए देशों को आर्थिक ब्लॉक में शामिल होने के लिए पूरा करना होगा। ब्रिक्स सर्वसम्मति पर आधारित है और निर्णय केवल तभी किए जाते हैं जब सभी पांचों सदस्य सहमत हों।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार को अपना समर्थन देते हुए कहा, ‘‘हम आम सहमति के आधार पर इस दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत करते हैं।’’ चीन और रूस ने भी विस्तार पर जोर दिया है, जबकि अन्य देशों ने हाल में अपनी मंजूरी दी है।

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