प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से इस सप्ताह हमने जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि चीनी राष्ट्रपति के कहने पर क्या रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हमला रोका है? हमने यह भी जानना चाहा कि हाल ही में रूसी राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री मोदी ने जो फोन किया था उसके क्या मायने हैं?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि युद्ध के ताजा हालात को देखें तो रूस बढ़त बनाता दिख रहा है क्योंकि यूक्रेन को पश्चिमी देशों के आश्वासन के बावजूद हथियारों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इसलिए यूक्रेन की तरफ से पलटवार लगभग स्थिर हो गया है। जहां तक इस तरह की खबर है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को परमाणु हथियारों का उपयोग करने से रोका तो इस बात की संभावना काफी हद तक है क्योंकि पुतिन आजकल जिनपिंग की बात काफी मान रहे हैं। इस युद्ध में चीन जिस तरह खुलकर रूस का साथ दे रहा है उसको देखते हुए पुतिन इस स्थिति में नहीं हैं कि चीन के किसी अनुरोध को पूरी तरह खारिज कर सकें।
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उन्होंने कहा कि इसके अलावा शी जिनपिंग खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति का मसीहा साबित करना चाहते हैं इसलिए आजकल वह वैश्विक मामलों में विवाद की स्थिति को सुलझाने में सहयोग की पेशकश कर रहे हैं। अभी की संभावना देखें तो परमाणु युद्ध का खतरा तो नजर नहीं आ रहा है लेकिन यह जरूर दिख रहा है कि न्यूक्लियर रेडियेशन के जरिये यूक्रेन को तबाह किया जा सकता है। हालांकि रूस इस तरह का कोई कदम उठायेगा इसकी संभावना ज्यादा नहीं लगती है। रूस का तो आरोप है कि यूक्रेन खुद पर न्यूक्लियर रेडियेशन हमला करवा सकता है ताकि रूस पर आरोप लगाया जा सके। रूस का कहना है कि यूक्रेन युद्ध अपने हाथ से निकलते देख कोई आत्मघाती कदम उठा सकता है। रूस यूक्रेन का 25 प्रतिशत से ज्यादा भाग अपने कब्जे में ले चुका है और यूक्रेन उसमें से बहुत कम इलाका अब तक वापस ले पाया है। दूसरा वैगनर ग्रुप की बगावत पर काबू पाने के बाद अब पुतिन सारे कदम फूंक फूंक कर रख रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच हुई फोन वार्ता की बात है तो आपको बता दें कि रूसी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर ‘‘सार्थक’’ बातचीत की तथा द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के डिजिटल शिखर सम्मेलन से कुछ दिन पहले हुई। इससे एक दिन पहले, रूस के सुरक्षा परिषद सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों और रूस में नवीनतम सुरक्षा घटनाक्रम पर चर्चा हुई थी। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मोदी और पुतिन ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेता संपर्क में बने रहने तथा दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के प्रयास जारी रखने पर सहमत हुए। यह उल्लेख करते हुए कि फोन कॉल भारतीय पक्ष की ओर से की गई, क्रेमलिन प्रेस सेवा ने कहा, ‘‘बातचीत का स्वरूप सार्थक एवं रचनात्मक रहा। नेताओं ने रूस और भारत के बीच विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए आपसी प्रतिबद्धता दोहराई और संपर्क जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।’’
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं को जारी रखने के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच व्यापार 2022 में काफी बढ़ गया, और यह सिलसिला 2023 की पहली तिमाही में भी जारी रहा। क्रेमलिन ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी को कूटनीति के माध्यम से संघर्ष को सुलझाने से यूक्रेन के स्पष्ट इनकार के बारे में सूचित किया। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के बयान के हवाले से कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने यूक्रेन से संबंधित स्थिति पर चर्चा की। रूसी राष्ट्रपति ने विशेष सैन्य अभियान क्षेत्र में वर्तमान स्थिति का जिक्र किया, जो संघर्ष को हल करने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाने से कीव के स्पष्ट इनकार की ओर इशारा करता है।’’ विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का अपना आह्वान दोहराया। हम आपको याद दिला दें कि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति एवं बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। क्रेमलिन के बयान में यह भी कहा गया कि मोदी ने पुतिन को अपनी हालिया अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति जो. बाइडन के साथ बातचीत के बारे में बताया। क्रेमलिन ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी ने उन्हें (पुतिन को) अपने अंतरराष्ट्रीय संपर्कों के बारे में बताया, जिसमें उनकी हालिया वाशिंगटन यात्रा भी शामिल है।’ दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और जी20 के भीतर अपने देशों के सहयोग पर भी चर्चा की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि क्रेमलिन के बयान में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ्ते वैगनर समूह द्वारा कुछ समय के लिए किए गए सशस्त्र विद्रोह के संबंध में रूसी नेतृत्व द्वारा उठाए गए कदमों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। इसमें कहा गया, “24 जून के घटनाक्रम के संबंध में, नरेन्द्र मोदी ने कानून और व्यवस्था की रक्षा करने तथा देश में स्थिरता और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूसी अधिकारियों की ठोस कार्रवाई के प्रति समर्थन व्यक्त किया।” येवगेनी प्रिगोझिन और उनके वैगनर समूह द्वारा किया गया विद्रोह राष्ट्रपति पुतिन के लिए उनके दो दशकों से अधिक के शासन में सबसे गंभीर चुनौती बन सकता था। इस घटनाक्रम से पुतिन के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हो गए। वैगनर समूह ने रोस्तोव-ऑन-डॉन शहर पर कब्ज़ा कर लिया था। विद्रोह तब समाप्त हुआ जब प्रिगोझिन ने मॉस्को की तरफ बढ़ रहे अपने सैनिकों को वापस लौटने का आदेश दिया।